
जम्मू, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । साहिब बंदगी के संत सद्गुरु मदुपरमहंस ने राँजड़ी, जम्मू में अपने प्रवचन के दौरान संगत से कहा कि पूरा खेल ही सुरति का है और हर समय मन की एकाग्रता बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि मनुष्य मोह, काम, क्रोध जैसे शत्रुओं में उलझा हुआ है और ये गुण सबमें समान रूप से विद्यमान हैं; इसलिए माया का अनुभव होने पर आत्मा इन सब से परे है। धीरे-धीरे विचार करने पर व्यक्ति को संसार की नश्वरता का बोध होता है और जीवन को रैन बसेरे की भांति समझकर शरीर के नित्यांत के लिए तैयार रहने का संदेश दिया।
उन्होंने लोभ, क्रोध और काम की प्रवृत्तियों से सतर्क रहने और ध्यान में पूर्ण एकाग्रता बनाए रखने पर ज़ोर दिया। इसके अलावा संत ने हिंदू धर्म की प्राचीनता और उसके विश्वगुरु होने के तथ्यों पर बात की, कहा कि वेदों में परमात्मा को निराकार रूप में वर्णित किया गया है और यह ज्ञान प्राचीन काल से भारत में रहा है। उन्होंने इतिहास और पुरातात्विक प्रमाणों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की सभ्यता अत्यंत प्राचीन और समृद्ध रही है। प्रवचन में आधुनिक विज्ञान के कुछ सिद्धांतों पर भी आपत्ति व्यक्त की गई और यह तर्क दिया गया कि कुछ सिद्धांतों से भारत की महत्ता को कम करके दिखाने की कोशिश हुई है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अनुयायी उपस्थित थे और प्रवचन के बाद प्रश्नोत्तर में संत ने अपने विचारों को और विस्तार से साझा किया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
