
काठमांडू, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के एक प्रमुख संत भद्रेश दास स्वामी द्वारा रचित सत्संग दीक्षा ग्रंथ के नेपाली संस्करण का शनिवार को विमोचन किया गया। नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामबरण यादव ने एक समारोह के दौरान इसका विमोचन किया।
डॉ. यादव ने कहा कि प्राचीन सनातन धर्म और पूर्वी सभ्यता नेपाल और भारत के बीच धार्मिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। वसंतपुर दरबार संग्रहालय विकास समिति और स्वामी नारायण संस्थान नेपाल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता और विज्ञान, जो हमारी पहचान का हिस्सा हैं उसको जोड़कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
पूर्व राष्ट्रपति यादव ने कहा, हमें अपनी संस्कृति, परंपराओं और समाज को समझकर काम करना चाहिए, जिससे शांति, सह-अस्तित्व और भाईचारे को प्राप्त करना आसान हो जाएगा। इससे विश्व कल्याण में योगदान मिल सकता है।
स्वामीनारायण अक्षरधाम भारत के प्रमुख संत भद्रेश दास स्वामी ने कहा कि मुक्तिनाथ, जहां भगवान नीलकंठ तपस्या करते थे, हिमालय पर्वत शृंखला और मुक्तिनाथ की तरह दुनिया में धार्मिक पर्यटन के लिए एक अविश्वसनीय रूप से पवित्र भूमि है। प्राचीन सनातन धर्म नेपाल और नेपाली लोगों के बीच संस्कृति, प्रेम, भक्ति और सुलह का एक अनूठा मॉडल प्रस्तुत करने में सफल रहा है।
भद्रेश दास स्वामी ने 240 वर्ष पूर्व नेपाल यात्रा के दौरान तत्कालीन राजा राणा बहादुर शाह के साथ स्वामीनारायण के सत्संग की ऐतिहासिक घटना का स्मरण किया और विचार व्यक्त किया कि यदि भाषा, वेशभूषा, भोजन और भजनों में संयम बरता जाए तो राष्ट्र प्रगति करेगा।
पूर्व सांसद शंकर प्रसाद पांडे ने कहा कि नेपाल का गौरव ऋषि परंपरा है और नेपाल की समृद्धि का मुख्य आधार धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सत्संग दीक्षा पुस्तक विश्व शांति, सद्भाव और मानव कल्याण के लिए शक्ति की एक मजबूत खुराक प्रदान करेगी।
यह पुस्तक मूलतः प्रकाश ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामी महाराज द्वारा गुजराती में लिखी गई थी।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
