Madhya Pradesh

साध्वी श्री गीतार्थरेखाजी म.सा. के 500 आयम्बिल तप अनुमोदनार्थ भव्य चल समारोह निकला

साध्वी श्री गीतार्थरेखाजी म.सा. के 500 आयम्बिल तप अनुमोदनार्थ भव्य चल समारोह निकला

मंदसौर, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश के मंदसौर में श्री केशरिया आदिनाथ श्रीसंघ के द्वारा सोमवार को चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन से परम पूज्य साध्वी श्री गीतार्थ रेखा श्रीजी म.सा. के 500 आयम्बिल तप पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भव्य चल समारोह निकाला गया। ढोल के साथ साध्वीजी की मंशानुसार निकाले गये इस चल समारोह में श्रीसंघ से जुड़े परिवाजजनों के श्रावक श्राविकाये, साध्वीजी के प्रति श्रद्धाभाव रखने वाले श्रावक श्राविकाये एवं साध्वीजी के सांसारिक परिवार के धमार्लुजन शामिल हुये।

आचार्य श्री निपुणरत्नसूरिश्वरजी म.सा. जैन संत श्री तीर्थरत्नजी म.सा., श्री राजरत्नजी म.सा. की पावन निश्रा में आयोजित इस चल समारोह (वरघोड़ा) की शुरूआत रूपचांद आराधना भवन चौधरी कॉलोन से हुई उसके बाद यह वरघोड़ा भावसार नमकीन प्रजापिता ब्रह्मकुमारी आश्रम तलेरा विहार, गीता भवन रोड़ होते हुए लोढ़े साथ जैन धर्मशाला पहुंचा। मार्ग में कई जैन परिवारों ने आचार्य श्री की गवली कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया तथा साध्वीजी के उत्कृष्ट तप साधना की भी अनुमोदना की। लोढ़े साथ जैन धर्मशाला पहुंचकर यह चल समारोह विशाल धर्मशाला में परिवर्तित हुआ।

आचार्य श्री निपुणरत्नजी म.सा. ने यहा कहा कि साध्वीजी गीतार्थरेखाजी म.सा. ने आत्मकल्याण के भाव से जो 500 आयम्बिल तप किये है वह सभी संतों-साध्वियों के लिये प्रेरणादायी है। 500 आयम्बिल तप करना कोई सरल नहीं है। आयम्बिल में बिना स्वाद का आहार लेना पड़ता है। आयम्बिल उत्कृष्ट तप साधना है भगवान नेमीनाथजी ने द्वारिकावासियों से भी आयम्बिल की प्रेरणा दी थी उसी के कारण द्वारिका नगरी समुद्र के बीच में होते हुए भी कई वर्षों तक तप के प्रभाव के कारण बची रही। धर्मसभा में श्री राजरत्नजी म.सा. ने भी अपने विचार रखे। संचालन दिलीप डांगी ने किया।

नृत्य नाटिका की भी हुई प्रस्तुति- साध्वीजी गीतार्थरेखाजी म.सा. के 500 आयम्बिल तप अनुमोदनार्थ सोमवार को लोढ़साथ जैन धर्मशाला में दोपहर को नृत्य नाटिका गीता की भी प्रस्तुति हुई जिसमें संघ के महिला मण्डल एवं बच्चों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी जिसे सभी ने सराहा तथा साध्वीजी के उत्कृष्ट तप साधना की अनुमोदना भी की।

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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया

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