
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । रूसी अंतरिक्ष एजेंसी राेस्काेस्माेस से जुड़े दिमित्री व्यादिमीराेविच मातवेेव (डेनिस मातवेव) बचपन में अंतरिक्षयात्री नहीं बनना चाहते थे, लेकिन 27 साल की उम्र में इंजीनियरिंग क्षेत्र काे अलविदा कह कर वे अंतरिक्ष यात्री के रूप में ही दुनिया के सामने आए।
राष्ट्रीय राजधानी के रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केंद्र (रशियन सेंटर) में शुक्रवार काे एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे मातवेेव ने (Udaipur Kiran News) से कहा, मैं बचपन में अंतरिक्षयात्री नहीं बनना चाहता था क्याेंकि मैंने अपने पिता काे इसी क्षेत्र में कार्यरत देखा था लेकिन शायद बचपन की इन्हीं स्मृतियाें के कारण मैं वाे बना जाे आज मैं आप सबके सामने हूं।मातवेेव ने इंजीनियरिंग में शिक्षा ग्रहण की है और स्नातक हाेने के बाद गगारिन केंद्र से जुड़े। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि साेयुज एमएस-21 मिशन था, जाे वर्ष 2022 में कजाकिस्तान के बैकाेनूर कास्माेड्राेम से प्रक्षेपित किया गया था। द्वितीय फ्लाइट इंजीनियर के ताैर पर इसमें उन्हाेंने कमांडर ओलेग आर्टेमयेव और सर्गेइ काेर्साकाेव के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में 195 दिन से ज्यादा दिन बिताए।उन्हाेंने कहा, अंतरिक्ष एक बेहद खूबसूरत सपने जैसा है जाे पृथ्वी से बिल्कुल अलग है। अंतरिक्ष में पहुंचते ही हम सही मायनाें में हर तरह से भारहीन हाे जाते हैं। यह पूछे जाने पर कि अंतरिक्ष में इस तरह का मानवीय हस्तक्षेप कहा तक सही हैं, उन्हाेंने कहा, हम मनुष्य खाेजी प्रवृत्ति के हैं और शायद इन्हीं खाेजाें के कारण ही हम आज आधुनिक जीवन में हर तरह के वैज्ञानिक प्रयाेगाें का फायदा उठा रहें हैं। अंतरिक्ष में हमारी खाेज इसी दिशा में एक नया कदम है।रूस में हीराे आफ द रशियन फेडरेशन सम्मान से सम्मानित मातवेेव भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयाेग के प्रति बेहद आशान्वित हैं। उन्हाेंने कहा, इस क्षेत्र में दाेनाें देशाें के बीच असीम संभावनाए हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि इस दिशा में दाेनाें देशाें के बीच संबधाें में और प्रगाढ़ता आएगी। अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र के व्यापक व्यावसायिक एवं आर्थिक पहलू पर उन्हाेंने कहा कि यह क्षेत्र तेजी से विकसित हाे रहा है और इसका सतत विकास जरूरी है। यह साझेदारी से ही संभव हाे सकेगा।
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(Udaipur Kiran) / नवनी करवाल
