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रुपया नए निचले स्तर पर, डॉलर के मुकाबले 11 पैसे गिरकर 88.27 पर बंद हुई भारतीय मुद्रा

डॉलर की तुलना में 11 पैसे की कमजोरी के साथ बंद हुई भारतीय मुद्रा

नई दिल्ली, 05 सितंबर (Udaipur Kiran) । विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली करने और भारत के आईटी सेक्टर पर अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ लगाए जाने की आशंका की वजह से शुक्रवार को भारतीय मुद्रा रुपये डॉलर की तुलना में अभी तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। भारतीय मुद्रा रुपये ने आज डॉलर की तुलना में 11 पैसे फिसल कर सबसे कमजोर क्लोजिंग का नया रिकॉर्ड बनाते हुए 88.27 (अनंतिम) के स्तर पर आज के कारोबार का अंत किया।

रुपये ने आज के कारोबार की शुरुआत मजबूती के साथ ही की थी। इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में भारतीय मुद्रा ने आज सुबह डॉलर के मुकाबले 16 पैसे की बढ़त के साथ 88.10 रुपये के स्तर से कारोबार की शुरुआत की थी। हालांकि आज का कारोबार शुरू होने के बाद रुपये पर लगातार दबाव बढ़ता गया, जिसकी वजह से रुपये की गिरावट बढ़ती चली गई। विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से अपने पैसे की निकासी करने और अमेरिका द्वारा भारत के आईटी सेक्टर पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की अफवाह की वजह से मुद्रा बाजार में रुपये पर काफी दबाव बढ़ गया। इस अफवाह की वजह से रुपया डॉलर की तुलना में अभी तक सबसे निचले स्तर 88.38 तक गिर गया। हालांकि बाद में अतिरिक्त टैरिफ से जुड़ी खबरों का खंडन आने के बाद रुपये की स्थिति में कुछ सुधार हुआ। पूरे दिन की हलचल के बाद भारतीय मुद्रा ने आज के निचले स्तर से 11 पैसे की रिकवरी करके 88.27 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आज के कारोबार का अंत किया।

मुद्रा बाजार के आज के कारोबार में रुपये ने डॉलर के अलावा दूसरी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मुकाबले भी कमजोर प्रदर्शन किया। आज के कारोबार के बाद ब्रिटिश पौंड (जीबीपी) की तुलना में रुपया 50 पैसे की गिरावट के साथ 118.98 (अनंतिम) के स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह यूरो की तुलना में रुपया आज 51 पैसे फिसल कर 103.16 (अनंतिम) के स्तर तक पहुंच गया।

खुराना सिक्योरिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रवि चंदर खुराना के अनुसार भारत के आईटी सेक्टर पर ट्रंप प्रशासन द्वारा अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने की अफवाह ने आज शेयर बाजार के साथ ही मुद्रा बाजार पर के कारोबार को भी काफी हद तक प्रभावित किया। इस अफवाह की वजह से मजबूती के साथ कारोबार की शुरुआत करने वाले शेयर बाजार ने भी अपनी सारी बढ़त गंवा कर लाल निशान में गोता लगाया, वहीं मुद्रा बाजार में रुपये और डॉलर के एक्सचेंज रेट पर भी इसका असर पड़ा। हालांकि बाद में इस अफवाह का खंडन होने के बाद ही शेयर बाजार और मुद्रा बाजार की स्थिति में कुछ सुधार हो सका।

रवि चंदर खुराना ने कहा कि पिछले कई महीने से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली ने रुपये पर दबाव बनाया हुआ है। इसकी वजह से रुपये में अवमूल्यन की प्रवृत्ति बढ़ गई है। ऐसे में अगर भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही मुद्रा बाजार में रुपये को सपोर्ट देने के लिए हस्तक्षेप नहीं करता है, तो रुपये की स्थिति आने वाले दिनों में और कमजोर हो सकती है।

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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक

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