HEADLINES

(राउंड अप) हिमाचल प्रदेश में रेड अलर्ट, पांच जिलों में फ्लैश फ्लड की चेतावनी

शिमला में वर्षा

शिमला, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में अगले कुछ दिन लोगों को मानसून के कहर से सावधान रहना होगा। मौसम विभाग ने आगामी दिनों के लिए प्रदेश में भारी से बहुत भारी वर्षा का पूर्वानुमान जारी करते हुए रेड, ऑरेंज और येलो अलर्ट घोषित किए हैं। 6 जुलाई को कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों में बहुत भारी वर्षा को लेकर रेड अलर्ट घोषित किया गया है। इसके साथ ही शिमला, मंडी, कांगड़ा, चम्बा और सिरमौर जिलों में अगले 24 घंटे के भीतर फ्लैश फ्लड का गंभीर खतरा जताया गया है।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार 6 से 9 जुलाई तक प्रदेश के अधिकांश जिलों में भारी बारिश के चलते अलर्ट जारी किए गए हैं। 6 जुलाई को लाहौल-स्पीति व किन्नौर को छोड़कर अन्य सभी 7 जिलों -ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कुल्लू, शिमला और सोलन में ऑरेंज अलर्ट रहेगा। 7 जुलाई को लाहौल-स्पीति व किन्नौर को छोड़कर सभी 10 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 8 जुलाई को ऊना, हमीरपुर, चम्बा और कांगड़ा में ऑरेंज अलर्ट जबकि अन्य जिलों में येलो अलर्ट लागू रहेगा। 9 जुलाई को लाहौल-स्पीति व किन्नौर को छोड़कर शेष जिलों में येलो अलर्ट जारी रहेगा। 10 व 11 जुलाई को भी बारिश की संभावना है, लेकिन कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है।

प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान कई स्थानों पर मध्यम बारिश दर्ज की गई। जोगिंदरनगर (मंडी) में सबसे अधिक 52 मिमी वर्षा हुई। नाहन और पालमपुर में 29-29 मिमी, पांवटा साहिब में 21 मिमी, ऊना में 18 मिमी और बरठीं (बिलासपुर) में 17 मिमी बारिश दर्ज की गई।

पिछले दिनों हुए भारी भूस्खलन और वर्षाजनित घटनाओं से राज्यभर में कई सड़कें बंद हुई हैं। शनिवार शाम तक 239 सड़कें, 248 बिजली ट्रांसफार्मर और 289 पेयजल योजनाएं बाधित हुई हैं। सबसे बुरी स्थिति मंडी जिले की है, जहां 176 सड़कें, 230 ट्रांसफार्मर और 278 जल योजनाएं बंद पड़ी हैं। अन्य जिलों में कुल्लू में 36, कांगड़ा में 12, ऊना, सिरमौर और शिमला में चार-चार और चम्बा में तीन सड़कें बंद हैं।

20 जून से 5 जुलाई (बीते 15 दिनों) के भीतर राज्य में 74 लोगों की मौत, 113 घायल और 37 लोग लापता हो चुके हैं। इन जानलेवा घटनाओं में बादल फटना, भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और सड़क हादसे मुख्य वजह बने हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 566 करोड़ से अधिक की संपत्ति और जनधन की हानि हो चुकी है। सबसे अधिक तबाही मंडी जिले में हुई है, जहां केवल 30 जून की रात को बादल फटने की 12 घटनाएं हुईं और इनमें 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 31 लापता हैं। कांगड़ा में 13 लोगों की मौत, जिनमें 7 भूस्खलन और 2 बादल फटने से मारे गए। प्रदेशभर में बादल फटने से 14 और फ्लैश फ्लड व तेज बहाव में बहने से 8 लोगों की मौत दर्ज की गई है।

बारिश जनित आपदाओं ने लोगों की संपत्ति, आवास और आजीविका को भी गहरी चोट दी है। 19 मकान पूरी तरह ध्वस्त, 93 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त, 213 पशुशालाएं और 21 दुकानें नष्ट हो गई हैं। बड़े पैमाने पर खेत और बागवानी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक अब तक 10,000 पोल्ट्री पक्षी और 253 पशुधन की भी मौत हुई है। इसका सीधा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। भारी बारिश और सड़कों पर फिसलन से सड़क हादसों में 27 लोगों की जान जा चुकी है। चम्बा में 6, मंडी, बिलासपुर और कुल्लू में तीन-तीन लोगों की मौत हुई है।

राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिला प्रशासन को राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार पूरी तरह सजग है और प्रभावितों को हर संभव सहायता दी जा रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित मंडी जिला में अब हालात सामान्य हो रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है।

————————–

(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

Most Popular

To Top