
भागलपुर, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । भागलपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने को लेकर भारतीय जनता पार्टी की खींचातानी अब समाप्त होती दिखाई दे रही है। भागलपुर विधानसभा क्षेत्र से रोहित पांडे को चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी गई है। जिसको लेकर भाजपा खेमे में ही विरोध के स्वर उठने लगे थे।
टिकट की उम्मीद लगाए बैठे भाजपा नेत्री डॉक्टर प्रीति शेखर, डॉक्टर अर्जित चौबे, मनीष दास सहित अन्य कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने बागी तेवर अख्तियार कर लिए थे। उक्त सभी ने निर्दलीय मैदान में उतारने का मन बना लिया था। जिसको लेकर रोहित पांडे की परेशानी काफी बढ़ गई थी। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व के दबाव और आश्वासन के बाद डॉक्टर प्रीति शेखर सहित अन्य कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के बाद से भाजपा सहित एनडीए खेमे में खुशी की लहर देखी जा रही है।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मिलने के बाद प्रदेश मीडिया पैनलिस्ट प्रीति शेखर ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा है कि वह भाजपा प्रत्याशी रोहित पांडेय सहित अन्य एनडीए उम्मीदवारों
के पक्ष में काम करेगी। इसके पूर्व उन्हें पटना बुलाया गया, जहां उनकी मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल सहित कई केंद्रीय मंत्री व कई राज्यों के मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। साथ ही उनके आवास पर केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ भी पहुंचे थे।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के आश्वासन के बाद प्रीति शेखर ने अपने कार्यकर्ताओं व शुभचिंतकों से बातचीत की और इसके बाद चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी।
प्रीति शेखर ने बताया कि शीर्ष नेतृत्व उन्हें अच्छा कार्यकर्ता मानते हैं। साथ ही भरोसा दिलाया गया है कि आगे उनके लिए पार्टी सोचती रहेगी। प्रीति शेखर के चुनाव नहीं लड़ने के निर्णय के बाद भाजपा प्रत्याशी रोहित पांडेय उनके घर पहुंचे और मुलाकात की। भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि सभी की आकांक्षाएं होती है कि वह चुनाव लड़ें। जब टिकट नहीं मिलता है तो निराशा होती है, लेकिन इसके बाद फिर सभी आपस में मिलजुल कर काम करते हैं।
अर्जित शाश्वत चौबे ने कहा कि उन्हें उनके पिता अश्विनी चौबे ने फोन किया था, जिसमें कहा गया कि तुम बीजेपी में हो और बीजेपी में ही रहोगे। पिता के आदेश का सम्मान करते हुए उन्होंने निर्दलीय नामांकन नहीं करने और भाजपा में ही बने रहने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि यह फैसला उन्होंने पार्टी और परिवार के मान-सम्मान को ध्यान में रखकर लिया है। अर्जित ने कहा मैंने विरासत का मान रखा और पिता अश्विनी चौबे के आदेश का पालन किया है।
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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर
