Uttrakhand

परिवहन महासंघ की हड़ताल का व्यापार असर, सड़कें हुई सूनी

आने -जाने वाले मुसाफिरों को हो रही भारी परेशानी।।

उत्तरकाशी, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।परिवहन महासंघ के नेतृत्व में उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में आज यानी बुधवार को एक दिवसीय चक्का जाम है। ट्रकों, डंपरों, बसों, ऑटो, विक्रम और ई-रिक्शा यूनियनों ने मिलकर यह फैसला लिया है। यह कदम सरकार और परिवहन विभाग द्वारा ट्रांसपोर्टरों की लंबित मांगों को पूरा न करने के विरोध में उठाया गया है।

विभिन्न मांगों को लेकर आज उत्तरकशी जिले समेत पूरे गढ़वाल मंडल में चक्का जाम है। उत्तरकाशी में अलग-अलग स्थानों पर वाहनों का संचालन रोका गया। देहरादून और पर्वतीय क्षेत्रों की यूनियनों का भी समर्थन मिला है।

व्यावसायिक वाहनों पर दो साल के टैक्स की छूट देने सहित कई अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे वाहन चालकों ने आज चक्का जाम किया है। सभी जीप और टैक्सियों का संचालन ठप है, जिससे लोगों को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

विश्वनाथ जीप कमाण्डर सूमो मैक्स टेम्पों ट्रेवलर एवं चालक मालिक कल्याण समिति उत्तरकाशी के अध्यक्ष अनीष नेगी ने बताया कि ऑल उत्तराखण्ड मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन के आन्दोलन के समर्थन में

क्षेत्र में प्रस्तावित एक दिवसीय चक्का जाम का पूर्ण रूप से सहयोग करती है।

यूनियन से जुड़े समस्त वाहन, स्कूल या किसी भी विभाग में जुड़े वाहन भी पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।

उत्तरकाशी में हड़ताल का व्यापक असर

उत्तरकाशी में जीप टैक्सी, बसों और ट्रक यूनियन की हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। सुबह से जीप टैक्सी बसों और ट्रैकों का संचालन नहीं हो रहा है। बस अड्डा और जीप टैक्सी पॉइंट पर सन्नाटा पसरा हुआ है। यदि कोई डग्गामार वाहन चल रहा है तो उसे जीप टैक्सी यूनियन से जुड़े लोग रोक दे रहे हैं। अभी लोग घरों से कम संख्या में ही निकले हुए हैं।

वहीं सुबह उत्तरकाशी से देहरादून और ऋषिकेश के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें चली गई थी। देहरादून से बस भी उत्तरकशी लेकिन उत्तरकाशी से परिवहन विभाग की बस को वापस नहीं जाने दिया गया है, बस को रोक दिया गया है। जिससे उत्तरकाशी में आने जाने वाले मुसाफिरों को भारी प्रशासन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी रत्नाकार जो लोग हड़ताल में शामिल नहीं है उन्हें निमित सेवा देने के लिए बता दिया गया है। बसे हड़ताल में शामिल नहीं है सुबह भी बसे चली है।

(Udaipur Kiran) / चिरंजीव सेमवाल

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