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प्राकृतिक आपदा से रहम के लिए ऋषि पराशर ने अपनी कोठी में देव बरनाग को बुलाया

बांहदी में देव पराशर का भंडार -कोठी, देव बरनाग का रथ।
देव बरनाग

मंडी, 04 सितंबर (Udaipur Kiran) । देवभूमि हिमाचल प्रदेश में आसमान से बरस रही आफत से देवी देवता भी आहत हो चले हैं। यहां के लाखों लाख लोगों को चूंकि देवी देवताओं पर अगाध विश्वास और आस्था है ऐसे में जब भी जनता पर इस तरह की आपदा आती है तो ये देवी देवता भी इसे रोकने के लिए अपने देव रीति नीति के अनुसार अनुष्ठान व अन्य कारज करते हैं ताकि इसका निवारण हो सके। मंडी जनपद एवं मंडी रियासत के कुल देवता ऋषि पराशर ने भी कुदरती आपदा से आजिज होकर इसके निवारण की प्रक्रिया शुरू की है।

श्री देव ऋषि पराशर के पुजारी तीर्थ राज ठाकुर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देव पराशर के विशेष निमंत्रण पर ईलाका स्नोर ज्वालापुर के प्रमुख देवता श्री देव बरनाग जी को देव रीति नीति के तहत इस प्राकृतिक आपदा का निवारण करने के लिए बुलावा भेजा है। देव बरनाग 5 सितंबर यानी 21 भादों को पराशर महाराज की गांव बांहदी स्थित मूल कोठी यानी भंडार में पहुंचेंगे और रात्रि को देवता की जाग का आयोजन होगा। अगले दिन 6 सितंबर को श्री देव पराशर की मूल कोठी में देव बरनाग की मौजूदगी में देव रीति नीति के अनुसार अनुष्ठान किया जाएगा।

गौरतलब है कि श्री देव बरनाग जी पराशर महाराज के संकटमोचक रहे हैं व वर्तमान में भी हैं। इतिहास में इसका वर्णन स्पष्ट तौर पर मिलता है। रियासत काल में जब जब मंडी रियासत पर कोई संकट आया तो पराशर महाराज के आदेशानुसार देव बरनाग ने उसका निवारण किया। कोरोना काल में भी जब पूरे देश व संसार में संकट आया था तो देव बरनाग ने कहा था कि यदि पराशर ऋषि का आदेश व अनुमति हुई तो वह जिला मंडी जाकर देव रीति नीति के अनुसार इसका निवारण करेंगे। मगर उस वक्त के हालातों के मदेनजर व कानूनी दृष्टि से संभव न होने के कारण देव पराशर ने ऐसा कोई आदेश या अनुमति नहीं दी थी।

गौरतलब है कि मंडी रियासत में ऋषि पराशर व सुकेत रियासत में देव कमरूनाग को बड़ा देव का दर्जा प्राप्त है। ऋषि पराशर मंडी राजघराने के कुल देवता होने के साथ साथ मंडी रियासत की रक्षा व सुरक्षा के दायित्व का पालन भी आज तक करते आएं हैं।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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