रेवाड़ी, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । देवउठनी एकादशी पर सामाजिक प्रथा बाल विवाह होने का अंदेशा बना रहता है, जो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत कानूनी अपराध है। संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी सरिता शर्मा ने रविवार को उपायुक्त अभिषेक मीणा के निर्देशानुसार संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध विभाग द्वारा देवउठनी एकादया पर बाल विवाह रोकने के लिए अभियान चलाकर खण्ड स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जागरूकता कार्यक्रम के दौरान महिलाओं व आमजन को बाल विवाह जैसी बुराई को जड़ से खत्म करने का आह्वान किया जा रहा है, जिसमें सभी का सहयोग आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत 18 वर्ष से कम आयु की लडकी व 21 वर्ष से कम आयु के लडक़े को नाबालिंग माना जाती है। यदि कम आयु में विवाह किया जाता है तो यह संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता हैए उसको बढ़ावा देता है या उसकी सहायता करता है, तो दो साल तक की सजा और एक लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने विवाह में सेवा देने वाले टेंट, हलवाई, पंडित, केटरर, प्रिटिंग प्रेस वालों से भी आह्वान किया कि ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में न तो शामिल हो और न ही अपनी सेवायें दे।
अन्यथा उनके विरूद्ध भी कानूनी कार्यवाही की जायेगी। बाल विवाह के आयोजन से सम्बन्धित जानकारी देने के लिए आमजन बाल विवाह निषेध अधिकारी, पुलिस हेल्पलाइन 112, मैजिस्ट्रेट या चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 पर सम्पर्क कर सूचना दे सकते है, ताकि समय पर हस्तक्षेप करके नाबालिग के विवाह को रुकवाया जा सकें।
दिव्यांग छात्रवृति योजना के लिए 31 अक्टूबर तक करें आवेदन
दिव्यांग छात्रों के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग केंद्र सरकार द्वारा संचालित पोस्ट मैट्रिक, प्री-मैट्रिक व टॉप क्लास एजुकेशन स्कॉलरशिप योजना चलाई जा रही हैं। जिसके तहत दिव्यांग छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रावधान है। उपायुक्त अभिषेक मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए छात्रों को पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसकी अंतिम तिथि 31 अक्टूबर निर्धारित कर गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र विद्यार्थी समय रहते संबंधित पोर्टल पर पंजीकरण कर लें।
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(Udaipur Kiran) / श्याम सुंदर शुक्ला
