Assam

बोड़ो समझौते की समीक्षा बैठक, आब्सू ने की 2026 से पहले लागू करने की मांग

नई दिल्ली/गुवाहाटी, 26 जून (Udaipur Kiran) । गृह मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित कार्यालय में गुरुवार को 2020 बोड़ो समझौते की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में भारत सरकार, असम सरकार और बोड़ो हस्ताक्षरकर्ता संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक की अध्यक्षता पूर्वोत्तर मामलों के संयुक्त सचिव नीरज कुमार बांसोड़ ने की। इसमें उप सचिव एनआर मिंज, असम गृह विभाग के सचिव पार्थ मजूमदार, असम पुलिस के एडीजीपी हीरेन नाथ और बीटीसी के प्रधान सचिव आकाशदीप सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

बैठक में ऑल बोड़ो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू), पूर्व एनडीएफबी और यूनाइटेड बोड़ो पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूबीपीओ) के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। चर्चा के केंद्र में वे लंबित मांगें रहीं जो अब तक समझौते के तहत पूरी नहीं की गई हैं।

इनमें शोणितपुर और बिश्वनाथ जिलों के बोड़ो बहुल गांवों को बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) में शामिल करने, संविधान के अनुच्छेद 280 में संशोधन और 125वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर बीटीआर को और अधिकार देने की मांग प्रमुख रही।

कार्बी आंगलोंग में बोड़ो कछारी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (हिल्स) का दर्जा देने की मांग भी दोबारा उठाई गई। इसके अलावा बीकेडब्ल्यूएसी के गांवों को टीएसी और आरएचएसी के तहत अधिसूचित करने, बीटीआर में वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) को लागू करने, शिक्षण संस्थानों का सरकारीकरण, लंबित मामलों की वापसी, शहीदों के परिवारों को मुआवजा और आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों के पुनर्वास जैसे मुद्दे भी प्रमुख रहे।

बोड़ो संगठनों ने इस बैठक को “रचनात्मक” बताया, लेकिन जोर दिया कि अब ठोस और समयबद्ध कार्य योजना जरूरी है। एबीएसयू नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि अगर 2026 से पहले पर्याप्त प्रगति नहीं हुई, तो वे लोकतांत्रिक आंदोलन की राह अपना सकते हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी कि यदि वादों को समय पर अमल में नहीं लाया गया तो आने वाले समय में आंदोलन और तेज हो सकता है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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