मुंबई, 08 नवंबर (Udaipur Kiran) । महाराष्ट्र के पुणे में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार की ओर से किए गए कथित जमीन घोटाला मामले को रद्द करने से शनिवार को राजस्व विभाग के संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोड हिंगाने ने इंकार कर दिया है। हिंगाने के कहा कि इस मामले में जब तक जमीन की बिक्री करने वाली शीतल तेजवानी कार्यालय में उपस्थित नहीं होती और इस जमीन की बिक्री के लिए लगने वाली ४२ करोड़ रुपये की राशि विभाग को सौपी नहीं जाती, तब तक इस कथित जमीन घोटाले का मामला रद्द नहीं किया जा सकता है।
इस मामले को लेकर शनिवार को सुबह उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा था कि इस मामले में किसी भी तरह का लेन देन नहीं किया गया है और इस मामले को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि इस मामले की गहन छानबीन की जाएगी और किसी भी आरोपित को बक्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था कि इस व्यवहार में पार्थ पवार खुद उपस्थित नहीं थे, इसीलिए उन पर मामला दर्ज नहीं किया गया है। लेकिन उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की इस व्यवहार को रद्द किए जाने की घोषणा के बाद पुणे जिले के संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने ने बताया है कि लेन-देन रद्द करने के लिए 21 नहीं, बल्कि 42 करोड़ रुपये देने होंगे। उन्होंने कहा कि पहले लेन-देन के दौरान कहा गया था कि उस ज़मीन पर एक आईटी पार्क बनाया जाएगा। इसी वजह से उस जमीन का मुद्रांक शुल्क सिर्फ पांच सौ रुपये लिया गया था। लेकिन अब आईटी पार्क का कारण रद्द कर दिया गया है। इसलिए, उस लेन-देन के लिए 21 करोड़ रुपये की मुद्रांक शुल्क वसूलने के आदेश दिए गए हैं।
इसके साथ ही लेन-देन रद्द करने के लिए पूरी स्टांप ड्यूटी भी चुकानी होगी। उसकी कीमत भी 21 करोड़ रुपये होगी। इसलिए, संबंधित भूमि लेनदेन को रद्द करते समय, नियमों के अनुसार कुल 42 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा । रजिस्ट्रार हिंगारे ने कहा कि इस तरह को नोटिस संबंधित लोगों को भेजा गया है। अब खरीदी और बिक्री करने वालों को यह तय करना है, मुद्रांक शुल्क कौन भरेगा। अगर पैसे नहीं चुकाए जाते हैं, तो कानून में जबरन वसूली का प्रावधान है। उन्होंने यह भी कहा कि लेनदेन रद्द करने के लिए शीतल तेजवानी को भी संयुक्त उप-पंजीयक कार्यालय में उपस्थित होना होगा।
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(Udaipur Kiran) यादव