
देहरादून, 26 जून (Udaipur Kiran) । प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर चल रही कानूनी प्रक्रिया के तहत गुरुवार को सरकार की ओर से आरक्षण रोस्टर उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। इस पर याचिकाकर्ताओं ने अध्ययन के लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने अगली सुनवाई की तिथि 27 जून (शुक्रवार) तय की है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को पंचायत चुनावों हेतु नए नियम जारी किए, जो 14 जून को गजट में अधिसूचित हो गए।पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पूर्ववर्ती आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना अनिवार्य था। उन्हाेंने कहा कि संशोधित रोस्टर संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप तैयार किया गया है।
याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से अधिवक्ता योगेश पचौलिया ने तर्क दिया कि सरकार ने जिस आयोग की रिपोर्ट का हवाला देकर चुनाव रोके, उस रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया, जो जनहित और पारदर्शिता के खिलाफ है। उन्हाेंने कहा कि उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 243-T और 243-D के तहत आरक्षण रोस्टर लागू करना एक संवैधानिक बाध्यता है, जिससे समझौता नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसकी मंशा चुनाव टालने की नहीं, बल्कि विधिसम्मत प्रक्रिया सुनिश्चित करने की है।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal
