
पांच जिलों के वायु गुणवत्ता पर होगी निगरानी: डॉ. विनोद चौधरी
अयोध्या, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के सीआईएफ बिल्डिंग में स्थित सरयू प्रयोगशाला के हाल में वायु गुणवत्ता अनुश्रवण मॉनिटरिंग समिति की बैठक आयोजित की गई। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता अनुरक्षण के लिए पर्यावरण विज्ञान विभाग को 44 लाख 80 हजार रुपए की बड़ी शोध परियोजना की स्वीकृत मिली है। विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र के निर्देशन में इस शोध परियोजना पर कार्य किया जा रहा है।
अनुश्रवण समिति में बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विनोद चौधरी ने बताया कि अयोध्या सहित अंबेडकर नगर, गोंडा, बहराइच और श्रावस्ती में प्रति जनपद दो नए स्टेशन स्थापित किए जाने के लिए वायु गुणवत्ता अनुश्रवण करने की परियोजना स्वीकृत हुई है। इस परियोजना के तहत अब सभी पांच जनपदों में वायु गुणवत्ता पीएम10, पीएम 2.5, सल्फर के आक्साइड एवं नाइट्रोजन के आक्साइड के अनुश्रवण का कार्य किया जाएगा। जिससे इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की निगरानी की जा सकेगी। इससे क्षेत्रीय प्रदूषण की वस्तु स्थिति का सही आकलन कर नीतिगत निर्णय लिए जाने में सहायता मिलेगी। चयनित जिलों में प्रदूषण की स्थिति और उससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सकेगा।
डॉ. चौधरी ने बताया कि निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में दो-दो मशीन लगाई जाएगी। इनमें से एक आवासीय क्षेत्र और एक औद्योगिक क्षेत्र होगा। इसके लिए प्रत्येक जिले के स्थलों का चयन कर लिया गया है। इस शोध परियोजना को चलाने के लिए सोलह विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। जिनमें शोध सहायक और फील्ड सहायक शामिल हैं। इन विशेषज्ञों का चयन योग्यता और अनुभव के आधार पर किया जाएगा। शोध परियोजना के लिए उ. प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगभग 50 लाख रुपए के उपकरण विश्वविद्यालय को प्राप्त होंगे, जिनका उपयोग चयनित शोध स्टेशनों पर किया जाएगा। परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए पर्यावरण विभाग और उ. प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बीच समन्वय और सहयोग स्थापित किया जा रहा है। परियोजना की निगरानी के लिए नियमित बैठकें आयोजित की जाएंगी। डॉ. चौधरी के अनुसार इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण की निगरानी करना और इसके प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाना है। परियोजना के सफल कार्यान्वयन से न केवल वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय
