
वनस्पति विज्ञान विभाग के शोध दल को मिली सफलता
वाराणसी, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएएचयू) के वनस्पति विज्ञान विभाग के एक शोध दल ने कोशिका मृत्यु में शामिल एक नए कारक की खोज की है। इस शोध दल का नेतृत्व डॉ. अखिलेश कुमार ने किया है, जिसमें उनके पीएचडी शोधार्थी विकास कुमार यादव भी शामिल रहे। यह खोज कैंसर और मस्तिष्क संबंधी बीमारियों को समझने और उनके इलाज की दिशा में नए रास्ते खोल सकती है।
शोध टीम के नेतृत्व कर्ता डॉ अखिलेश के अनुसार यह शोध प्रतिष्ठित पत्रिका सेल डेथ एंड डिज़ीज़ (नेचर पब्लिशिंग ग्रुप) में प्रकाशित हुआ है। शोध अध्ययन से पता चलता है कि एंजाइम आर्जिनिलट्रांसफेरेज़ 1 माइटोकॉन्ड्रियल पारगम्यता को सक्रिय करता है, जिससे कोशिका मृत्यु होती है। यीस्ट को एक शोध मॉडल जीव के रूप में उपयोग करते हुए, दल ने प्रदर्शित किया कि जब यीस्ट कोशिकाओं में आर्जिनिलट्रांसफेरेज़1 मात्रा बढ़ाई जाती है तो यह माइटोकॉन्ड्रियल पारगम्यता संक्रमण छिद्र के माध्यम से कोशिका मृत्यु को प्रेरित करती है।
उल्लेखनीय रूप से, यह कोशिका मृत्यु इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला या प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों से जुड़े तंत्रों पर निर्भर नहीं करती। यह खोज कोशिका मृत्यु की हमारी समझ को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाती है और कैंसर जैसे रोगों के लिए इसके महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। साथ ही यह खोज कोशिका मृत्यु-संबंधी विकारों को लक्षित करने वाली नई चिकित्सीय रणनीतियों के लिए नए रास्ते खोलती है। आर्जिनिलीकरण प्रोटीन अपघटन को नियंत्रित करने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है और यह हृदय विकास, ऑक्सीजन संवेदन और तंत्रिका क्षय सहित विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस शोध के वर्तमान निष्कर्ष महत्वपूर्ण जैविक महत्व को और उजागर करते हैं। यह शोध अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित मियामी विश्वविद्यालय में डॉ. फैंगलियांग झांग की प्रयोगशाला के सहयोग से किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
