Uttar Pradesh

शोध को मानवता के कल्याण भाव से किया जाय : प्रो. मुकुल शरद सुतावने

अतिथिगण

-महाकुम्भ की भांति यह शोध कार्यशाला भी बन रही ज्ञान के मंथन का केंद्र : आशीष चौहान-प्रयागराज में शोध फाउंडेशन ने दो दिवसीय ’शोधशाला’ राष्ट्रीय कार्यशाला का किया शुभारम्भ-अनुसंधान की भारतीय दृष्टि पर हुआ मंथन

प्रयागराज, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । शोध फाउंडेशन द्वारा अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संगमनगरी स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) में ‘शोधशाला’ नामक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का भव्य शुभारम्भ किया गया। मुख्य अतिथि ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावने ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अनुसंधान को केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक संस्कृति के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने शोध के विभिन्न चरणों के माध्यम से मानवता के कल्याण को केंद्र में रखने की बात कही।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता व अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने “शोध में सम्भावनाएं एवं अवसर“ विषय पर प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया। कहा कि प्रयागराज में कुछ माह पूर्व आयोजित आध्यात्मिक महाकुम्भ की भांति ही यह शोध कार्यशाला भी ज्ञान के मंथन का केंद्र बन रही है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आज भी भारत की कई कंपनियां नवाचार के बजाय केवल नकल कर रही हैं और उनका योगदान आज भी अनुसंधान में काफी कम है। गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए जरूरी है कि हम संसाधनों के समुचित उपयोग के साथ मतभेदों से ऊपर उठकर कार्य करें।

उद्घाटन सत्र के उपरांत ईश्वर शरण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने “भारतीय ज्ञान परम्परा“ विषय पर विचार रखे। दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित डॉ. बी.आर. अंबेडकर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक प्रो. सुनीत कुमार सिंह ने “भारत में जीवंत अनुसंधान के लिए प्रकाशन के अवसर“ विषय पर वक्तव्य दिया। शोध फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक अर्जुन आनंद एवं अभाविप काशी प्रांत की अध्यक्षा प्रो. सुचिता त्रिपाठी उपस्थित रहे।

शोध फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक अर्जुन आनंद ने कहा कि आज भारत का शैक्षणिक तंत्र औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रसित है। इससे बाहर निकलने के लिए आवश्यक है कि “स्व“ से बदलाव की शुरुआत हो। इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिनिधियों को शोध की सही दिशा और पद्धतियों से अवगत कराना है तथा शोध हेतु आकादमिक नेतृत्व को तैयार करना है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश मीडिया संयोजक अभिनव मिश्र ने बताया कि इस राष्ट्रीय कार्यशाला में भारत के सभी राज्यों से आए कुल 120 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य अनुसंधान को अधिक प्रभावशाली बनाना, अकादमिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों के बीच समन्वय को सशक्त करना तथा युवा शोधार्थियों को नवीनतम शोध पद्धतियों एवं संसाधनों से परिचित कराना रहा। अभाविप काशी प्रांत की अध्यक्ष प्रो. सुचिता त्रिपाठी ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए भारतीय ज्ञान परम्परा की विशिष्टता को रेखांकित किया और भारतीय अनुसंधान परम्परा को आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल दिया।

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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