Uttar Pradesh

बीएचयू में अनुसंधान अवसंरचना को बढ़ावा: जल्द ही प्रस्ताव आमंत्रित

बीएचयू कुलपति

— विश्वविद्यालय के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को और सुदृढ़ करने के लिए कुलपति प्रो.अजित कुमार चतुर्वेदी की नई पहल

वाराणसी, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जल्द ही अपने सदस्यों से प्रमुख अनुसंधान सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करेगा। इस कदम का उद्देश्य विश्वविद्यालय के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक विस्तार देना और सशक्त बनाना है, ताकि नई सुविधाओं की स्थापना से विश्वविद्यालय के अनुसंधान प्रयासों को और मजबूती मिले। यह घोषणा कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने की है। कुलपति प्रो. चतुर्वेदी के अनुसार उत्तम विज्ञान के लिए निवेश की आवश्यकता होती है। न केवल संसाधनों के रूप में बल्कि प्रतिभावान विद्यार्थियों, शिक्षकों, उत्तम अवसंरचना और उच्च स्तरीय अनुसंधान को प्रोत्साहन देने वाली संस्कृति के रूप में भी। प्रमुख अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करने की यह पहल बीएचयू के अनुसंधान उत्कृष्टता की दिशा में एक और कदम होगी। कुलपति के इस आगामी पहल के अंतर्गत 25 लाख रुपये से अधिक मूल्य के प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। कुलपति ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे परंपरागत सोच से आगे बढ़ें और ऐसे विचार प्रस्तुत करें जो विश्वविद्यालय की अनुसंधान यात्रा में “गेम चेंजर” साबित हो सकें। उन्होंने संकाय सदस्यों से कहा, “ऐसी टीम बनाइए जिसमें विश्वसनीयता और महत्वाकांक्षा दोनों हों। यदि आपके पास ऐसा विचार है जो अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय की प्रगति को तेज़ी दे सकता है, तो संसाधनों की चिंता विश्वविद्यालय की होगी।” यह प्रस्ताव विज्ञान एवं नवाचार परियोजनाओं, अंतःविषय अध्ययनों, फैब्रिकेशन, विश्लेषणात्मक या कैरेक्टराइजेशन सुविधाओं की स्थापना, उन्नत सॉफ्टवेयर सिस्टम या मशीनों के विकास अथवा स्थापना तथा उच्च स्तरीय अनुसंधान को प्रोत्साहन देने वाली अन्य पहलों जैसे विविध सुझावों के लिए खुला रहेगा।

कुलपति ने विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग की गौरवशाली विरासत की सराहना करते हुए कहा कि विभाग अपनी स्थापना के 103वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि विभाग के संस्थापक प्रमुख प्रो. के. के. माथुर ने उस दौर में जब देश पर औपनिवेशिक शासन था और संसाधन व तकनीक सीमित थे, तब भी विभाग को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में अतुलनीय योगदान दिया। प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि प्रो. माथुर ऐसे आदर्श हैं जो हमें चुनौतियों के बावजूद उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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