


सुलतानपुर, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर मे स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि जब तक वह जीवित रहेंगे, भारतीय वैदिक सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करते रहेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान का स्मरण, चिंतन और मनन सुखदायी होता है।
सूरापुर स्थित विजेथुआ धाम में वाल्मीकि रामायण कथा के तीसरे दिन रविवार की शाम कथा का आयोजन किया गया। चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज का नाम लिए बिना कहा कि वे किसी की निंदा नहीं करते, क्योंकि लोग निंदा का अर्थ नहीं जानते। उनके अनुसार, दोष न होने पर भी जब किसी पर दोष सिद्ध किया जाए, तब उसे निंदा कहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे तभी बोलते हैं जब सनातन परंपरा पर आघात किया जाता है।
जगद्गुरु ने बताया कि भारत के पांचों दर्शन पूर्व पक्ष हैं और वेदांत दर्शन उत्तर पक्ष है। भगवान को जानने के लिए वेदांत की शरण लेनी पड़ती है। भगवान राम को वेदांत दर्शन से ही समझा जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वेदांत ही ब्रह्म सूत्र है। उन्होंने स्वयं को त्रिदंडी साधु बताया और कहा कि त्रिदंडी संन्यासी भिक्षु होते हैं, लेकिन वे संसार से कोई भिक्षा नहीं मांगते। वे केवल सीतापति भगवान श्रीराम और हनुमान से भीख मांगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे चमत्कार या भोली-भाली जनता को बरगलाने के लिए बाबा नहीं बने, बल्कि भारतीय वैदिक संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए साधु बने हैं।
स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि वाल्मीकि रामायण बताती है कि परमात्मा सभी गुणों से युक्त हैं और भगवान राम पूर्ण हैं। कथा के अंत में उन्होंने ‘राजा दशरथ के जन्मे ललनवा, आज सोहे अंगनवा’ गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आयोजक विवेक तिवारी ने अपनी पत्नी के साथ व्यासपीठ का पूजन किया। अद्वैत वेदांत, वेदांत की एक शाखा है, जिसके प्रणेता आदि शंकराचार्य थे। शंकराचार्य का मानना है कि संसार में ब्रह्म ही सत्य है, जगत् मिथ्या है और जीव तथा ब्रह्म अलग नहीं हैं।
इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील त्रिपाठी, प्रमोद मिश्र मुन्ना, डॉ. आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, डा. रत्नेश तिवारी, गिरिजेश तिवारी, राम विनय सिंह, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि, सर्वेश मिश्र, अम्बरीश मिश्र, पवन कुमार सिंह, राकेश मिश्र, छोटेलाल मिश्र, सत्यम तिवारी, विजयधर मिश्र, रामूश्यामू उपाध्याय, विजय उपाध्याय, घनश्याम चौहान, संजय तिवारी, जगदम्बा उपाध्याय समेत अनेक प्रमुख व हजारों श्रोता उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / दयाशंकर गुप्त
