HEADLINES

धर्म परिवर्तन व दहेज उत्पीड़न मामले में आरोपितों को राहत

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

–केस कार्यवाही पर रोक, विपक्षियों से मांगा जवाब

प्रयागराज, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन और दहेज उत्पीड़न के आरोपी परिजनों को राहत दी है। कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न केस कार्यवाही पर रोक लगा दी है और विपक्षियों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा आमतौर पर माना जाता है कि शादी में दिए गए उपहार दहेज नहीं होते।

यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की एकलपीठ ने काशिफ अतहर व दो अन्य की याचिका पर दिया। गाजियाबाद निवासी फराज का एक दूसरे धर्म की युवती से प्रेम संबंध था। विवाह पूर्व एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसके कुछ दिनों बाद युवती ने आत्महत्या कर ली। इस पर युवती के पिता ने फराज, उसके भाई काशीफ अतहर और उसकी मां व बहन पर दहेज उत्पीड़न व जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया। ट्रायल कोर्ट ने पुलिस के आरोप पत्र का संज्ञान लेकर समन आदेश जारी किया। काशीफ अतहर व उसकी मां व बहन ने दर्ज मुकदमे की पूरी कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की।

दलील दी कि एफआईआर में आवेदकों के खिलाफ केवल इतना आरोप है कि उन्होंने एक होटल में विवाह-पूर्व समारोह में भाग लिया था। जबरन धर्म परिवर्तन और अन्य आरोप मुख्य रूप से सह-अभियुक्त फराज पर लगाए गए हैं। आवेदकों के खिलाफ एफआईआर में कोई सीधा आरोप नहीं है। 28 दिसंबर 2024 को पुलिस जांच के दौरान मृतक की बहन और मां के बयान में जबरन धर्म परिवर्तन के प्रयास का आरोप लगाए गए। ये आरोप झूठे हैं और आवेदकों को केवल सह-अभियुक्त फराज के रिश्तेदार होने के कारण फंसाया गया है। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने अर्जी का विरोध किया। दलील दी कि विवाह पूर्व समारोह में दी गई राशि को दहेज के रूप में मानी जाएगी।

कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि मामले में विस्तृत जांच की आवश्यकता है। राज्य और शिकायतकर्ता को एक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। साथ ही अगली सुनवाई 27 अक्टूबर तक याचियों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी।

—————

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

Most Popular

To Top