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अलीगढ़ नवीन मंडी स्थल के आवंटियाें काे उच्च न्यायालय से राहत

प्रयागराज उच्च न्यायालय का छाया चित्र

–कोर्ट ने कहा, कानूनी प्रक्रिया बगैर नहीं होगी कार्रवाई

प्रयागराज, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अलीगढ़ में मंडी समिति नवीन मंडी स्थल धनीपुर के आवंटियों को राहत देते हुए वहां किसी भी अतिक्रमण अभियान को शुरू करने से पहले मंडी समिति कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने और याचियों को नोटिस और सुनवाई का अवसर देने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने पूर्णिमा ट्रेडिंग कम्पनी फूड ग्रेन मंडी नवीन मंडी स्थल व 32 अन्य की याचिका पर उनके अधिवक्ता व मंडी समिति की ओर से उपस्थित अधिवक्ता को सुनकर दिया है।

याचिका में सचिव इंचार्ज कृषि उत्पादन मंडी समिति अलीगढ़ के गत 28 मई और आठ जुलाई के आदेशों को चुनौती दी गई थी। इन आदेशों से आवंटी याचियों को सामान्य नोटिस जारी किया गया था, जिसमें आवंटियों को मंडी समिति के क्षेत्र पर किए गए अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था और कहा गया कि अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है तो मंडी समिति द्वारा उचित कार्यवाही की जाएगी।

याचियों का कहना था कि उन्होंने आवंटन की तिथि के बाद से मंडी समिति नवीन मंडी स्थल धनीपुर के किसी भी क्षेत्र पर अतिक्रमण नहीं किया है। उनका चबूतरे पर वैध कब्जा है। टीन शेड लगाया गया है। याचियों का कहना था कि सचिव इंचार्ज मंडी समिति अलीगढ़ ने नोटिस/आदेश में मंडी समिति के क्षेत्र पर अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए समिति का गठन किए जाने की बात कहते हुए कहा गया कि आवंटियों द्वारा नीलामी चबूतरा के नीचे अवैध रूप से अतिक्रमण किया जा रहा है तो अतिक्रमण को हटाने के लिए अभियान चलाया जा सकता है।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची मंडी समिति के वैध आवंटी हैं और नीलामी प्रक्रिया द्वारा चबूतरा आवंटित किया गया है। याचियों का कब्जा वैध है और यदि उन्होंने किसी भी नीलाम चबूतरे या मंडी समिति के क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है या उन्होंने अपने सामान को मंडी समिति द्वारा उन्हें आवंटित क्षेत्र से परे रखा है, तो अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने और यह पता लगाने के बाद की जा सकती है। कहा गया कि याचियों ने मंडी समिति के किसी भी क्षेत्र या नीलाम चबूतरे पर अपने आवंटन क्षेत्र से परे अतिक्रमण किया है या नहीं यह जांच का विषय है।

मंडी समिति की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि याचियों में से किसी को भी अब तक कोई नोटिस नहीं दिया गया है। वास्तव में याचिका समय से पहले दाखिल कर दी गई क्योंकि याचियों को अनावश्यक रूप से आशंका है कि उनके कब्जे में हस्तक्षेप किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि याचियों के खिलाफ कोई अतिक्रमण अभियान शुरू किया जाता है तो वह कानून के अनुसार किया जाएगा और याचियों को नोटिस व सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। साथ ही यह पता लगाया जाएगा कि याचियों ने मंडी समिति के किसी भी क्षेत्र या चबूतरे पर कब्जा किया है या नहीं।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने समिति अधिवक्ता के आश्वासन पर इस मामले में हस्तक्षेप उचित नहीं समझा लेकिन यह उम्मीद जताई कि याचियों के खिलाफ किसी भी अतिक्रमण हटाओ अभियान को शुरू करने से पहले मंडी समिति कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करेगी और याचियों को नोटिस और सुनवाई का अवसर देगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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