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धोखाधड़ी से जारी रजिस्टर्ड पट्टा भी हो सकता है कैंसिल: हाईकोर्ट

jodhpur

पोकरण के पट्टा रद्दीकरण मामले में जैसलमेर जिला कलेक्टर का आदेश रद्द

जोधपुर, 01 नवम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने पोकरण नगरपालिका बोर्ड द्वारा जारी पट्टे के रद्दीकरण मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस सुनील बेनीवाल ने एक समान 19 याचिकाओं में सुनाए अपने रिपोर्टेबल फैसलों में जिला कलेक्टर जैसलमेर द्वारा जारी आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रजिस्टर्ड पट्टा भी यदि धोखाधड़ी, मिलीभगत या नियमों के उल्लंघन में जारी किया गया है, तो उसे कैंसल किया जा सकता है।

हाईकोर्ट ने पोकरण नगरपालिका बोर्ड को निर्देश दिया कि वह 16 मई 2025 के नोटिस के अनुसरण में याचिकाकर्ता के खिलाफ कड़ाई से कानून के अनुसार कार्रवाई करे, लेकिन 25 फरवरी की समिति रिपोर्ट और एक अप्रैल के आदेश से प्रभावित हुए बिना। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बोर्ड सभी पट्टों से जुड़े पूरे मुद्दे की नए सिरे से जांच करेगा। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में 14 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल याचिकाकर्ता पोकरण के वार्ड नंबर 15 निवासी ललित कुमार पंवार ने रिट याचिका दायर की थी। इसमें बताया कि पोकरण नगरपालिका बोर्ड ने उनके खिलाफ 16 मई को शो कॉज नोटिस जारी किया था, जो जिला कलेक्टर के 1 अप्रैल 2025 के आदेश के अनुसरण में दिया गया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जिला कलेक्टर के पास कानून के तहत आदेश जारी करने का अधिकार नहीं था और विवादित पट्टा कानूनी प्रक्रिया के बाद जारी कर रजिस्टर किया गया था। उन्होंने कहा कि पट्टा रद्द करने के लिए सक्षम सिविल कोर्ट में जाना चाहिए। वहीं, सरकार व नगरपालिका की ओर से कहा गया कि पट्टा मिलीभगत से जारी किया गया था। हालांकि, सरकारी वकील ने स्वीकार किया कि कलेक्टर का 1 अप्रैल 2025 का आदेश रद्द किया जा सकता है।

एक साथ 19 याचिकाओं में समान फैसला

हाईकोर्ट ने पोकरण पट्टा रद्दीकरण मामले में एक साथ 19 याचिकाओं में समान फैसला सुनाया। सभी याचिकाकर्ता पोकरण नगरपालिका क्षेत्र के निवासी हैं और सभी के खिलाफ जिला कलेक्टर ने एक अप्रैल को एक ही आदेश जारी किया था। इन याचिकाकर्ताओं में ललित कुमार पंवार के अलावा, तरुण पंवार, छोटेश्वरी देवी, शांति देवी सोलंकी, उर्मिला कंवर, रामगोपाल, मांगीलाल, कमलेश, अभय कंवर रत्नू, मदत अली, लीलाधर, प्रकाश, मुकेश, कमला, कंचन देवी, भंवर लाल और राणाराम शामिल हैं। कोर्ट ने सभी मामलों में कलेक्टर का 1 अप्रैल 2025 का आदेश रद्द किया और नगरपालिका बोर्ड को 25 फरवरी 2025 की समिति रिपोर्ट से प्रभावित हुए बिना नए सिरे से जांच का निर्देश दिया।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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