Uttrakhand

विद्युत चोरी के मामले में आरोपित दोषमुक्त, विभागीय कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की सिफारिश

नैनीताल, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) । विशेष सत्र न्यायालय (विद्युत अधिनियम) नैनीताल ने वर्ष 2022 में विद्युत चोरी के आरोपित पर लगे को आरोपों को निराधार पाते हुए आरोपों से बरी कर दिया है। साथ ही न्यायालय ने संबंधित कनिष्ठ अभियंता, सब-स्टेशन ऑपरेटर और लाइनमैन के साथ ही पुलिस के विवेचनाधिकारी उप निरीक्षक के विरुद्ध नियमानुसार विभागीय कार्रवाई करने और विद्युत विभाग के दोषी अधिकारियों के वेतन या पेंशन से वसूलकर 10 हजार रुपये निर्दोष घोषित हुए आरोपित को अदा करने की सिफारिश भी की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार विशेष सत्र न्यायालय (विद्युत अधिनियम) नैनीताल तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरीश कुमार गोयल के न्यायालय में विद्युत चोरी के आरोपित आनंद नाथ पर सुनवाई पूरे होने के बाद आज निर्णय सुनाया गया। आरोपित आनंद नाथ पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138 व 139 के तहत अभियोग दर्ज था। न्यायालय ने उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को गरमपानी के कनिष्ठ अभियंता हेम चंद्र कपिल तथा बेतालघाट के सब-स्टेशन ऑपरेटर गिरीश चंद्र पंत और लाइनमैन भूपाल दत्त फुलारा के विरुद्ध नियमानुसार विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की है। साथ ही उन्हें आदेश दिया कि वह मुकदमे की लागत के दस हजार रुपये 30 दिनों में आरोपित को अदा करें, जिसे दोषी अधिकारियों के वेतन या पेंशन से वसूला जा सकता है।

कहा है कि भुगतान न होने पर 10 फीसद अतिरिक्त जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को उप निरीक्षक रमेश चंद पंत के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की है। अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता-फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने पैरवी की।

2.5 मिमी के तार से बताई गई हाई टेंशन लाइन से बिजली की चोरी

आरोपित आनंद नाथ पुत्र पन नाथ पर आरोप था कि 18 अगस्त 2022 को ग्राम बिसगुली स्थित उनके खेत में विद्युत विभाग को एक सूचना पर लगभग 20 मीटर लंबा ‘फ्लैक्सिबल तार’ मिला, जिसे जब्त किया गया। 20 अगस्त को जांच में दावा किया गया कि इस तार से 11000 किलोवाट की लाइन से हाई टेंशन लाइन से छेड़छाड़ की जा रही थी, और इस कारण बार-बार विद्युत व्यवस्था बाधित हो रही थी। इस पर 20 अगस्त को ही थाना बेतालघाट में विभागीय कर्मियों की ओर से शिकायत दर्ज करायी गयी।

मामले की न्यायालय में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता की ओर से दलील दी गयी कि 2.5 मिमी का तार खेत में पड़ा हुआ मिला, जबकि हाई टेंशन लाइन 15 से 20 फिट की ऊंचाई पर थी। यदि 2.5 मिमी के तार को 11000 किलोवाट की लाइन से जोड़ा जाएगा तो तार जल जाएगा और तार लगाने वाले की मौके पर ही मृत्यु हो जाएगी। इसके अतिरिक्त घटना के गवाह बताये गये विभागीय कर्मी यह नहीं बता पाए कि वह कितने बजे मौके पर गये थे। बताया गया है कि इन आधारों पर ही न्यायालय का फैसला आया है।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

Most Popular

To Top