

—संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 43वां दीक्षांत समारोह संपन्न
—संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं अपितु भारत के एक गौरवपूर्ण इतिहास को समेटने वाली अमूल्य निधी: गजेन्द्र सिंह शेखावत
वाराणसी,08 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश की कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने युवाओं का आह्वान कर कहा कि अपनी जड़ों से जुड़ कर भारतीय ज्ञान परम्परा का विस्तार करेंगे तो भारत निश्चय ही विश्व गुरू बन जायेंगा। मेडल एवं उपाधि पाने वाले छात्र छात्राओं का बधाई देते हुये कहा कि युवा अपने अन्दर छिपी अपार सम्भावनाओं काे पहचान आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार करें । पर्यावरण सरंक्षण, महिला सशक्तिकरण, नशामुक्ति अभियानों से जुड़कर सामाजिक चेतना फैलाये।
राज्यपाल बुधवार अपरान्ह यहां सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 43वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थी। विश्वविद्यालय परिसर स्थित ऐतिहासिक मुख्य भवन में आयोजित दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ कुल 36 मेधावियों में 58 पदक वितरित किया।
विश्वविद्यालय के गोद लिए पांच गांवों के विद्यालयों के विजेताओं एवं प्रधान अध्यापकों को भी सम्मानित एवं पुरस्कृत किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं बल्कि ज्ञान, विज्ञान और चेतना का आधार है। यह केवल भाषा ही नहीं बल्कि युगों पहले मानवतावाद, परमाणुवाद सौरमण्डल के ग्रहों का विचरण आदि के ज्ञान से विश्व को परिचित कराया। आज आवश्यकता है कि संस्कृत में छिपे इन रत्नों का सरल भाषा में विश्व के आम जनमानस तक पहुंचाया जाय। उन्होंने विश्वविद्यालय के आचार्यों से आह्वान किया कि संस्कृत की इस ज्ञान गंगा को घर-घर तक पहुंचाया जाय, संस्कृत भाषा सनातन संस्कृति के कारण विश्व को शांति का संदेश पहुंचा रहा है। यही संस्कृत है जिसने विविधता में एकता के सूत्र को पिरोया है और जिसने मानवता को वसुधैव कुटुम्बकम् सिखाया है। उन्होंने संस्कृत एवं संस्कृति के महत्व का उल्लेख कर कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित ऑन लाइन संस्कृत पाठ्यक्रम ज्ञान के वैश्विक प्रसार का माध्यम बन चुका है। ऑन लाइन प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से केवल संस्कृत भाषा का ज्ञान ही नहीं बल्कि कर्मकाण्ड, योग, मंदिर प्रबन्धन आदि की भी यहां शिक्षा दी जा रही है। यह केवल भारत में ही नही बल्कि भारत के सीमा के पार अन्य देशों में भी विस्तार कर रही है। विश्वविद्यालय का यह प्रयास विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को साकार कर रहा हैं।
—संस्कृत विश्व की वैज्ञानिक भाषा
समारोह में बतौर मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा ही नहीं अपितु भारत के एक गौरवपूर्ण इतिहास को समेटने वाली अमूल्य निधी है। जो समस्त भारतीयों के लिये उर्जा का स्रोत है। संस्कृत के ज्ञान के बिना भारत को जानना पूर्ण सम्भव नही है। संस्कृत विश्व की वैज्ञानिक भाषा है, संस्कृत जैसे बोली जाती है वैसे ही लिखी जाती है।
——समारोह में डिजी लॉकर का प्रदर्शन
दीक्षांत समारोह में डिजी लॉकर के माध्यम से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष उपाधियों का प्रदर्शन किया गया। डिजी लॉकर में सभी 11477 मध्यमा से लेकर आचार्य (विद्यावारिधि) उपाधियों को ऑनलाइन अपलोड किया गया है। विद्यार्थी अब घर बैठे अपने समस्त अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र ऑनलाइन माध्यमों से प्राप्त कर सकते हैं। समारोह में प्राथमिक विद्यालय मुनारी के छात्र अनमोल यादव ने पर्यावरण संरक्षण पर हिंदी में भाषण और सिक्किम सिमरन राजभर ने संस्कृत में भाषण दिया।
—आंगनबाड़ी केंद्रों को किट वितरित
समारोह में राज्यपाल ने सोनभद जनपद के जिलाधिकारी एवं राजभवन के सहयोग से ऑगनवाणी कार्यकत्रियों को खिलौना, टेबुल, कुर्सी, चार्ट, पुस्तकें, साइकिल और सिलाई किट्स आदि प्रदान किया।
—दीक्षान्त समारोह में 11477 उपाधियों का वितरण
विश्वविद्यालय के 43वें दीक्षान्त समारोह में कुल 11477 उपाधियाँ प्रदान की गयी। कार्यकम का प्रारम्भ शैक्षणिक शिष्टयात्रा ,पौराणिक एवं वैदिक मंगलाचरण से हुआ। कुलगीत विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किया। कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने स्वागत भाषण के बाद विश्वविद्यालय के विकास यात्रा को बताया। संचालन डॉ० रविशंकर पाण्डेय ने किया। समारोह में केन्द्रीय उच्च शिक्षा तिब्बती संस्थान, सारनाथ के कुलपति, काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति प्रो. पृथ्वीश नाग,महापौर अशोक कुमार तिवारी, पद्मभूषण प्रो. देवीप्रसाद द्विवेदी आदि की मौजूदगी रही।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
