
धर्मशाला, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) । बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने बुधवार को अपने आवास पर श्रद्धालुओं से मुलाकात कर उन्हें आर्शीवचन दिए। उन्होंने कहा कि धर्म केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित नहीं है। इसे दैनिक जीवन के व्यवहार और आचरण में उतारना ही सच्ची साधना है।
दलाई लामा ने बताया कि धर्म को सिर्फ किताबों में नहीं खोजना चाहिए। करुणा, सहानुभूति और नैतिक मूल्यों के रूप में इसे जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरों के प्रति दया भाव रखना और उनके दुखों को समझना ही वास्तविक बौद्ध साधना है। बौद्ध विचारधारा को आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप ढालना जरूरी है।
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने युवाओं को विशेष संदेश देते हुए कहा कि बदलते समय में बौद्ध विचारधारा को आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप ढालना जरूरी है। पुरानी मान्यताओं को नए संदर्भों में समझना और लागू करना समय की मांग है।
इस दौरान केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रधानमंत्री सिक्योंग पेन्पा सेरिंग ने भी दलाई लामा से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। उन्होंने धर्मगुरु को निर्वासित तिब्बती सरकार के 16वें काशाग की उपलब्धियों की जानकारी दी। सिक्योंग ने बताया कि काशाग तिब्बती समुदाय की शिक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत बना रहा है। दलाई लामा ने सिक्योंग और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
