
मुंबई, 06 अगस्त (Udaipur Kiran) । वैश्विक व्यापार मोर्चे पर अनिश्चितताओं के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि केन्द्रीय बैंक आरबीआई आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हम जो भी करना जरूरी होगा, करते रहेंगे। बेशक, व्यापार वार्ता अभी भी जारी है। बेशक, व्यापार वार्ता अभी भी जारी है। हमें उम्मीद है कि हम एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकाल लेंगे।
आरबीआई गवर्नर ने मीडिया से बातचीत के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यूपीआई हमेशा मुफ्त नहीं रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अंततः किसी को डिजिटल भुगतान प्रणाली चलाने का खर्च उठाना ही होगा। संजय मल्होत्रा की यह टिप्पणी यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव के बीच आई है। प्रेस कांफ्रेंस में संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि मैंने कभी नहीं कहा कि यूपीआई हमेशा के लिए मुफ्त रह सकता है। मैंने बस इतना कहा था कि यूपीआई लेनदेन से जुड़ी लागतें हैं और किसी न किसी को उनका भुगतान करना होगा। इसलिए इस मॉडल की स्थिरता के लिए हमारे लिए ये जरूरी है कि सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से कोई न कोई भुगतान करे।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए देश के नागरिकों का हित और कल्याण सबसे ऊपर है। देश के नागरिक विशेष रूप से समाज के सबसे निचले तबके पर खड़े लोग हमारे अस्तित्व का मूल कारण हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक मृतकों के बैंक खातों, लॉकर के दावों के निपटान के लिए प्रक्रिया को सुगम और मानकीकृत बनाएगा।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी द्विमासिक एमपीसी समीक्षा बैठक के बाद नीतिगत दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने रेपो रेट को 5.50 फीसदी पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2025-26 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अनुमान को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा है। खुदरा महंगाई दर का अनुमान घटाकर 3.1 फीसदी कर दिया गया है।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
