
जम्मू, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । स्कूल ऑफ विजुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स, डिज़ाइन एंड आर्किटेक्चर, जम्मू विश्वविद्यालय ने इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूज़िक एंड फाइन आर्ट्स और ज़मीन फाउंडेशन कश्मीर के सहयोग से रंगयुग का प्रसिद्ध डोगरी नाटक चंचलो शुक्रवार को यहां ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह ऑडिटोरियम में प्रस्तुत किया। प्रो. शोएब इनायत मलिक (प्राचार्य, आईएमएफए और निदेशक, एसवीएपीएडीए) की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम में आरजे डॉ. जुही मोहन ने 90 मिनट तक अकेले मंच पर दमदार अभिनय कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नाटक के अंत में पूरा सभागार खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
नादिरा ज़हीर बाबर के हिंदी नाटक सकुबाई पर आधारित चंचलो में शहर में काम की तलाश में आई एक घरेलू सहायक की कहानी को हास्य, व्यंग्य और भावुकता के साथ प्रस्तुत किया गया, जो प्रवासन, शोषण और श्रम की गरिमा जैसे मुद्दों को उजागर करता है। प्रो. नीलू रोहमेत्रा (डीन, रिसर्च स्टडीज) ने कहा कि चंचलो केवल नाटक नहीं, बल्कि उन आवाज़ों का प्रतिनिधित्व है जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। वहीं प्रो. ख्वाजा मोहम्मद एकरामुद्दीन (जेएनयू) ने इसे समाज का आईना और आत्मबोध का माध्यम बताते हुए डॉ. जुही मोहन के प्रदर्शन की सराहना की।
नाटक के मंचन में संगीत, प्रकाश, मेकअप और प्रॉप्स की टीम ने अहम योगदान दिया। कार्यक्रम में पद्मश्री प्रो. ललित मंगोत्रा, खालिद हुसैन, विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। शुक्रवार का यह विशेष मंचन किश्तवाड़, चशोती और कठुआ में हालिया प्राकृतिक आपदाओं में दिवंगत नागरिकों को समर्पित किया गया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
