
दतिया, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रामबाबू प्रजापति ने अपने जीवन में “स्वदेशी का संकल्प” लेकर आत्मनिर्भर भारत के पथ पर चलने की मिसाल कायम की है। दीपों के उत्पादन और विक्रय के क्षेत्र में उन्होंने अपना एक अलग स्थान बनाया है।
प्रकाश का पर्व दीपावली जैसे त्यौहार पर जब पूरा देश रोशनी में नहाया होता है, तब रामबाबू प्रजापति के हाथों बने दीये घर-घर में जगमगाते हैं।
मिट्टी के दीयों को आकार देकर वे न केवल अपनी जीविका चला रहे हैं, बल्कि समाज को स्वदेशी अपनाने का संदेश भी दे रहे हैं। लगभग 75 वर्ष की आयु में रामबाबू प्रजापति भी वे अपनी लगन और निष्ठा से कार्यरत हैं। वे हर वर्ष दो से तीन लाख रुपये तक की आमदनी केवल मिट्टी के दीये बनाकर अर्जित कर लेते हैं। यह उनके परिश्रम, सादगी और स्वदेशी प्रेम का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
जब इस संबंध में कलाकार रामबाबू से बातचीत की तो उनका कहना है कि “विदेशी वस्तुएं छोड़ो, स्वदेशी अपनाओ” यही उनके जीवन का मंत्र है।
उल्लेखनीय है कि उनका बनाया हर दीप न केवल मिट्टी से, बल्कि उनके संकल्प और आत्मनिर्भरता की चमक से जगमगाता है। वे प्राकृतिक रंगों से दीये सजाते हैं और पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करते हैं। इससे वातावरण भी स्वच्छ रहता है और परंपराओं की खूबसूरती भी बरकरार रहती है। उन्होंने यह साबित किया है कि उम्र, परिस्थिति या साधन कुछ भी हो, अगर इच्छा सच्ची हो तो सफलता निश्चित है। आज उनके बनाये दीये सिर्फ घरों को नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को भी रोशन कर रहे हैं। वह कहते है कि स्वदेशी का दीप जलाकर आत्मनिर्भर भारत की राह रोशन करना ही मेरा धर्म है।
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा
