
जबलपुर, 27 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मप्र के जबलपुर में आदिवासी जमीनों की धोखाधड़ी कर दोबारा बिक्री करने का मामला अब बड़े फर्जीवाड़े के रूप में सामने आया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डी.पी. सूत्रकार ने इस मामले को गंभीर मानते हुए बरगी थाना प्रभारी को आदेश दिया कि रमाकांत सतनामी, वीरन लाल बर्मन, कृष्ण कुमार बर्मन और उनके सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश की धाराओं में एफआईआर दर्ज की जाए। अदालत ने स्पष्ट कहा कि यह मामला संज्ञेय अपराध का है, और पुलिस को इसकी जांच तुरंत शुरू करनी होगी। आदेश का पालन करते हुए बरगी थाना पुलिस ने 26 सितंबर 2025 को एफआईआर संख्या 0469/2025 दर्ज कर ली।
दोहरी बिक्री और फर्जी दस्तावेज़ों का खेल
आवेदक प्रखर पाठक की ओर से लगाए गए आरोपों में खुलासा हुआ है कि गैंग ने पहले से बेची गई जमीनों को नए खरीदारों को फिर से बेचकर करोड़ों की ठगी की। उदाहरण के तौर पर, खसरा नंबर 25/1 की 0.080 हेक्टेयर जमीन 2014 में अशोक तिवारी को बेची गई थी, लेकिन इसी जमीन को 2018 में दोबारा प्रखर पाठक को बेच दिया गया। इसी तरह, मृतक मस्का बर्मन के नाम से 2019 में एक और विक्रय पत्र तैयार कर दिया गया, जबकि असल में मस्का की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। आरोप है कि रमाकांत सतनामी ने नकली गवाह खड़े कर इन दस्तावेजों को तैयार कराया और रकम खुद वसूली।
आदिवासी जमीन को सामान्य दिखाकर की ठगी
मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि यह जमीनें आदिवासी वर्ग की थीं, जिन्हें सामान्य वर्ग की बताकर बेचा गया। खरीदारों को न तो वास्तविक स्थिति बताई गई और न ही यह खुलासा किया गया कि विक्रेता असली मालिक नहीं हैं। इस तरह आरोपिताें ने कानूनी प्रावधानों की अनदेखी कर आदिवासी संपत्ति का फर्जी सौदा किया। अदालत ने इसे गंभीर आर्थिक अपराध और संगठित षड्यंत्र मानते हुए एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया।
पुलिस ने ली जांच अपने हाथ में
अदालत के आदेश के बाद बरगी पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एफआईआर में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और फर्जी दस्तावेज तैयार करने की धाराएं लगाई गई हैं। जांच का जिम्मा निरीक्षक जितेंद्र पाटकर को सौंपा गया है, जो अब उन सभी विक्रय पत्रों और आरोपियों से जुड़े दस्तावेजों की जांच करेंगे। पुलिस का मानना है कि इस गैंग ने संगठित तरीके से आदिवासी जमीनों को बेचकर बड़े पैमाने पर ठगी की है।
अगली सुनवाई की तारीख तय
अदालत ने पुलिस को एक सप्ताह के भीतर एफआईआर की प्रति पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर 2025 को निर्धारित की गई है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पुलिस की जांच में रमाकांत सतनामी और उसके गैंग की कितनी गहराई तक जड़ें सामने आती हैं।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
