
चित्रकूट, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल और आईआरसीटीसी के अधिकारियों की उपस्थिति में शनिवार को राम यात्रा का हरी झंडी दिखाकर शुभारम्भ किया। यह यात्रा भगवान राम के वनवास से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों तक रेल मार्गों और हवाई मार्गों से पूरी की जाएगी। यह यात्रा चित्रकूट से प्रारम्भ होकर रामेश्वरम तक ट्रेन से की जाएगी।
इसके बाद रामेश्वरम से श्रीलंका और श्रीलंका से अयोध्या तक हवाई जहाज के माध्यम से भगवान श्रीराम के पदचिन्हों का अनुसरण करेगी। इसके साथ ही सभी स्थलों पर श्रीराम कथा का भी आयोजन किया जाएगा।
यात्रा के शुभारम्भ पर मोरारी बापू ने कहा कि भगवान श्रीराम वनवास के दौरान जिस मार्ग से गए थे, उसे राम वन गमन पथ या राम यात्रा के नाम से जाना जाता है। यह यात्रा सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठने, नैतिक निष्ठा बनाए रखने और बुराइयों पर विजय पाने की प्रेरणा देती है। कहा कि इस पवित्र यात्रा में सभी को ईर्ष्या, घृणा और निंदा को पीछे छोड़ देना चाहिए और अपने साथ सत्य, प्रेम और करुणा लेकर चलना चाहिए।
यात्रा के प्रथम दिन मोरारी बापू सहित सभी श्रद्धालु रेलवे स्टेशन से धर्मनगरी स्थित अत्रि मुनि आश्रम के लिए रवाना हुए। जहां मोरारी बापू ने इस यात्रा की पहली श्री राम कथा सुनाई।
राम यात्रा की प्रथम कथा में मोरारी बापू ने बताया कि यह स्थान बहुत महत्व रखता है क्योंकि भगवान राम, लक्ष्मण और सीता का वनवास के दौरान महर्षि अत्रि और महासती अनुसूया के आश्रम में श्रद्धा के साथ स्वागत किया गया था। अत्रि मुनि ने श्रीराम के दिव्य स्वरूप को पहचाना और उनका स्तुति गान किया। वहीं महासती अनुसूया ने सीता को नारी धर्म, एक समर्पित पत्नी के कर्तव्यों का उपदेश दिया था उन्हें ऐसे आभूषण दिए, जिनकी चमक कभी भी कम नहीं होती। कथा समाप्त होने के बाद सभी श्रद्धालु यात्री पुनः राम यात्रा ट्रेन में वापस चले गए, जो चित्रकूट रेलवे स्टेशन से अगले स्थल के लिए रवाना हुई।
यह यात्रा 11 दिनों में पूरी होगी और 8,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबा सफर तय करेगी। इस यात्रा के लिए ट्रेन में कुल 22 कोच लगे हैं, जिनमें कुल 411 श्रद्धालु यात्रा कर रहे हैं। इस ट्रेन को राम वन गमन यात्रा के प्रतीक के रूप में विशेष रूप से सजाया गया है। प्रत्येक कोच का नाम यात्रा के गंतव्य के नाम पर रखा गया है। इस यात्रा के दौरान भारत और श्रीलंका के विभिन्न आध्यात्मिक स्थलों पर 9 श्रीराम कथाओं का वाचन होगा। प्रत्येक गंतव्य स्थल पर भक्तों के लिए विशाल पंडाल लगाए जाएँगे। श्रीराम कथा में प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिस्सा ले सकेगा। प्रत्येक स्थल पर भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रतिदिन प्रसाद के रूप में भोजन परोसा जाएगा।
मदन पालीवाल के संत कृपा सनातन संस्थान द्वारा आयोजित यह यात्रा विभिन्न स्थलों से होते हुए आगामी चार नवम्बर को अयोध्या में समाप्त होगी। सत्य, प्रेम और करुणा के शाश्वत मूल्यों पर आधारित यह राम यात्रा श्रीरामचरितमानस की शिक्षाओं के प्रसार तथा मानवता के आध्यात्मिक ताने-बाने को मजबूत करने के सतत मिशन को दर्शाती है।
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(Udaipur Kiran) / रतन पटेल