जम्मू,, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) ।
जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के प्रवक्ता रकीक अहमद खान ने जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा जेकेएएस परीक्षा में आयु सीमा 35 वर्ष से घटाकर 32 वर्ष करने के फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे युवाओं के साथ “गंभीर अन्याय” करार दिया।
खान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं ने पहले ही परीक्षा घोटालों, पेपर लीक, बेरोजगारी और अशांति की वजह से अपने कीमती साल खो दिए हैं। ऐसे में आयु सीमा कम करना उनके भविष्य से खिलवाड़ है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसकी नींव उमर अब्दुल्ला सरकार के समय रखी गई थी, जिसने न केवल युवाओं के अवसर घटाए बल्कि पारदर्शी भर्ती प्रणाली देने में भी नाकाम रही।
उन्होंने सवाल उठाया कि गुजरात, पंजाब, बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों में आयु सीमा कहीं अधिक है, जिससे वहां के युवाओं को तैयारी और प्रतियोगिता का उचित मौका मिलता है लेकिन जम्मू-कश्मीर के युवाओं को यह अवसर क्यों नहीं दिया जा रहा? उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक क्यों समझा जा रहा है?” खान ने कहा।
खान ने यह भी कहा कि यहां के युवा पहले ही घोटालों, देरी और झूठे वादों के शिकार रहे हैं। ऐसे में सरकार को उन्हें मुआवज़ा देना चाहिए था लेकिन उल्टा उनके अवसर और छीन लिए जा रहे हैं। “यह कोई नीति नहीं, बल्कि क्रूरता है,” उन्होंने टिप्पणी की।
उन्होंने तत्काल निर्णय वापस लेने और आयु सीमा 35 वर्ष बहाल करने की मांग की। साथ ही एलजी प्रशासन और जेकेपीएससी से युवाओं की आकांक्षाओं के साथ खड़े होने की अपील की। खान ने कहा, “जब आप युवाओं की आखिरी उम्मीद छीन लेते हैं तो आप निराशा और हताशा पैदा करते हैं। समय आ गया है कि युवाओं के साथ न्याय किया जाए और उन्हें देश के अन्य हिस्सों की तरह बराबरी का मौका दिया जाए।”
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(Udaipur Kiran) / अश्वनी गुप्ता
