
जम्मू, 9 अगस्त (Udaipur Kiran) । तिरंगा केवल तीन रंगों वाला एक कपड़ा नहीं है – यह हमारे महान राष्ट्र की आन, बान और शान है। यह भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता का प्रतीक है। तिरंगे का हर धागा अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और एक अरब से ज़्यादा भारतीयों के सपनों को समेटे हुए है। इसके महत्व को समझते हुए मोदी सरकार ने पूरे देश को एक महान संदेश दिया है।
आज़ादी का अमृत महोत्सव के भव्य आयोजन के दौरान घरों, दफ्तरों, स्कूलों और सभी सरकारी संस्थानों में तिरंगा फहराना।
जम्मू और कश्मीर में इस संदेश का एक विशेष महत्व है। 2014 से पहले स्थिति बिल्कुल अलग थी। कई वर्षों तक जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने तिरंगे के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया। आतंकवाद, अलगाववादी दुष्प्रचार और बार-बार बंद के आह्वान के कारण कई इलाकों में किसी ने भी राष्ट्रीय ध्वज फहराने की हिम्मत नहीं दिखाई।
इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात कुछ नेताओं के बयानों में झलकती राष्ट्र-विरोधी मानसिकता थी—एक पूर्व मुख्यमंत्री ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर अनुच्छेद 370 और 35ए हटा दिए गए तो जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाला कोई नहीं बचेगा। ऐसी टिप्पणियों ने कुछ राजनीतिक हलकों में हमारे देश की एकता के प्रति गहरी असम्मान की भावना को उजागर किया।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
