Madhya Pradesh

राजगढ़ः संघ का शताब्दी वर्ष केवल उत्सव का नही,बल्कि आत्ममंथन और संकल्प का अवसर है : सेठिया

आत्ममंथन और संकल्प का अवसर है-प्रांत कार्यवाह सेठिया

राजगढ़, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । संघ का शताब्दी वर्ष केवल उत्सव का नही, बल्कि आत्ममंथन और संकल्प का अवसर है। यदि व्यक्ति अपने आचरण, चरित्र और कर्म से बदलता है तो परिवार और समाज स्वतःही दिशा पाते है। यह बात संघ के प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया ने मंगलवार को शताब्दी वर्ष के अवसर पर सुठालिया में निकाले गए पथ संचलन के बाद आयोजित कार्यक्रम में संबोधन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि संघ ने अपने सौ वर्षों की यात्रा में अनके उतार-चढ़ाव देखे है, लेकिन संगठन ने सदैव समाज को एकता, अनुशासन और राष्ट्र सेवा का संदेश दिया है।

उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना का उद्देश्य व्यक्तिगत नही, बल्कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए था और है। उन्होंने अपने उद्बोधन में संघ के पंच परिवर्तन-सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य और स्व का बोध की अवधारणा को विस्तार से समझाया। संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक इस परिवर्तन यात्रा का एक सक्रिय घटक है। सेठिया ने कहा कि संघ का शताब्दी वर्ष केवल उत्सव का नही है, बल्कि आत्ममंथन और संकल्प का अवसर है। इस अवसर पर उन्‍होंने स्वयंसेवकों से आव्हान किया कि वह समाज में सेवा, सहयोग और संस्कार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के कार्य को और गति दें।

आरएसएस के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में सुठालिया में निकाले गए भव्य पथ संचलन का प्रारंभ सरस्वती शिशु मंदिर से हुआ, जिसमें सैकड़ों स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में पंक्तिबद्व होकर शामिल हुए। पथ संचलन नगर के मुख्य बाजार, बसस्टेंड रोड़, मंदिर चैक, नगरपंचायत मार्ग से होते हुए पुनः विद्यालय पहुंचा।

पथ संचलन के दौरान नगर में भारत माता की जय, वंदे मातरम् और संघ के गीतों की गूंज रही। नगर में जगह-जगह सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने पथ संचलन का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। विधार्थियों ने स्वागत द्वार बनाकर देशभक्ति से ओतप्रोत का वातावरण तैयार किया।

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(Udaipur Kiran) / मनोज पाठक

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