RAJASTHAN

लोकरंग समारोह में राजस्थानी लोक गायन से आगाज

जवाहर कला केंद्र में  लोकरंग समारोह में राजस्थानी लोक गायन से आगाज

जयपुर, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जवाहर कला केंद्र में चल रहे 28वें लोकरंग महोत्सव का शनिवार को 5वां दिन रहा।

लोकरंग के अंतर्गत मध्यवर्ती में होने वाले राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह में छह राज्यों के कलाकारों ने कुल 11 विभिन्न लोक प्रस्तुतियों के माध्यम से परंपराओं की विविधता और सांस्कृतिक एकता को जीवंत कर दिया। इनमें लोक गीतों से लेकर लोक नृत्यों तक तक बेहद खूबसूरत प्रस्तुतियां शामिल रहीं। ताल, लय और भावों से सजी इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को लोक कला की अद्भुत शैली से आत्मीय रूप से जोड़ दिया। लोक कला से ओतप्रोत यह सांस्कृतिक कार्यक्रम 17 अक्टूबर तक जारी रहेगा। शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ दस्तकारों के हुनर की झलक पा रहे हैं।

मध्यवर्ती में कार्यक्रम का आगाज़ राजस्थान की सुप्रसिद्ध लोक गायिका सुमित्रा देवी की मधुर आवाज में लोकगीतों की प्रस्तुति के साथ हुआ। उन्होंने गणेश वंदना, गुरु वंदना, मीरा बाई के भजन और रामसापीर का गुणगान किया। इसके बाद भुट्टे खान द्वारा मांगणियार गायन की प्रस्तुति दी गई। खान ने अपनी गायकी से मरुधर की संगीत परंपरा को जीवंत कर दिया। इसके बाद राजस्थान के गफरुद्दीन मेवाती के भपंग वादन ने लोक वाद्य संगीत का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश के कलाकारों ने आकर्षक गणगौर नृत्य से दर्शकों का दिल जीत लिया, इसमें सभी महिला कलाकारों ने भगवान शिव और पार्वती की आराधना करते हुए गणगौर बनाए। यह लोक नृत्य अच्छे वर को पाने के लिए किया जाता है।

ओडिशा के कलाकारों ने गोटिपुआ नृत्य के माध्यम से पारंपरिक नृत्य शैली का शानदार प्रदर्शन किया। इसमें कलाकारों ने लयबद्धता के साथ आकर्षक मुद्राओं से भगवान जगन्नाथ की कथाओं को मंच पर साकार किया। यह पारंपरिक नृत्य भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। एक बार फिर राजस्थान के कलाकार अमित पलावाल के नेतृत्व में तालवाद्य समूह ने लय और ताल की सुदंर समावेशी तालबंदी गायन की प्रस्तुति दी। इसके बाद राजस्थान का ही कथौड़ी जनजाति के कलाकारों द्वारा किए जाने वाला कथौड़ी नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें तलवार और हथियारों के साथ युद्धक मुद्राओं और उत्साही चालों ने शौर्य और परंपरागत जीवन का जीवंत चित्र रचा। दर्शक इस वीरता और उत्साह से भरे लोक नृत्य को देखकर रोमांचित हो उठे।

उत्तर प्रदेश की प्रस्तुति में कजरी नृत्य ने सावन-भादो की बरसात और प्राकृतिक सौंदर्य का माहौल मंच पर बना दिया। स्त्रियाँ झूमकर गीत गाती और नाचती हुई, प्रेम, विरह और ग्रामीण जीवन की भावनाओं को दर्शकों तक पहुँचाती नजर आईं। ढोलक, मंजीरा और झांझ की ताल ने माहौल को और जीवंत बना दिया। पंजाब के कलाकारों ने भांगड़ा में खेतों की हरियाली और फसल की खुशियों का उत्सव मंच पर उतारा। उनकी ऊर्जा, उछल-कूद और लयबद्ध कदमों ने दर्शकों में आनंद और उमंग भर दी, और पंजाब की जीवंत संस्कृति का रंग प्रस्तुत किया। वही राजस्थान के डेरू नृत्य ने सभी को उत्साह से भर दिया। मध्यप्रदेश की प्रस्तुति में करमा नृत्य ने ग्रामीण जीवन और उत्सव की खुशियों को दर्शाया। यह नृत्य करम देव को मनाने के लिए किया जाता है। आमतौर पर कृषि आदि के कार्यों के बाद जब सभी घर लौटते हैं तो यह गीत और नृत्य के माध्यम से दिनभर की थकान को दूर करते हैं। आखिरी प्रस्तुति में हरियाणा के कलाकारों ने घूमर नृत्य के माध्यम से फसल कटाई के बाद की खुशियों का उत्सव मनाया।

—————

(Udaipur Kiran)

Most Popular

To Top