
जोधपुर 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक अनोखे विमुद्रीकरण से जुड़े मामले में भारत सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को नोटिस जारी किए हैं। यह याचिका रणवीर सिंह की ओर से अधिवक्ता विपुल सिंघवी द्वारा दायर की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसपी शर्मा और न्यायमूर्ति अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने विस्तृत सुनवाई के पश्चात प्रतिवादियों से जवाब मांगा और माना कि मामला ‘न्यायसंगतता और संपत्ति के संवैधानिक संरक्षण से जुड़ा प्रश्न’ उठाता है। मामला वर्ष 2018 में याचिकाकर्ता के स्वर्गीय पिता के बैंक लॉकर से मिली 15.50 लाख की विमुद्रीकृत मुद्रा से संबंधित है। यह लॉकर उत्तराधिकार वाद के दौरान न्यायालय और बैंक की अभिरक्षा में सील था और अदालत के आदेश से बाद में खोला गया, जब विमुद्रीकरण की समयसीमा समाप्त हो चुकी थी।
अधिवक्ता विपुल सिंघवी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पास उस अवधि में लॉकर तक पहुंचने का अधिकार नहीं था, अत: मुद्रा का विनिमय असंभव था। उन्होंने कहा कि इस आधार पर राहत न देना अनुच्छेद 300-ए के अंतर्गत संपत्ति से वंचन और अनुच्छेद 14 के तहत मनमानी का मामला बनता है। उन्होंने सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को न्यायालय की प्रक्रिया के कारण नुकसान नहीं होना चाहिए। याचिका में केवल न्यायसंगत राहत मांगी गई है—देनदारी की स्वीकृति या समुचित क्षतिपूर्ति।
(Udaipur Kiran) / सतीश
