काेरोना के दौरान जनस्वास्थ्य विभाग में डीसी रेट पर कार्यरत कर्मचारी को दिखा दिया मृत
कौशल रोजगार में भी मृत घोषित कर हटा दिया नाम, करीब ढाई साल से नहीं मिली सैलरी
डीसी के पास पहुंचा अजीबो-गरीब मामला, डीसी बोले, कर्मचारियों की गलती के कारण हुआ मामला
अधिकारियों को दिए गए निर्देश, कर्मचारी के कागजात सही कर कौशल रोजगार में किया जाए शामिल
15 साल से जन स्वास्थ्य विभाग में डीसी रेट पर नौकरी कर रहा था रामलीला पड़ाव कालोनी निवासी विजय
रोहतक, 11 अगस्त (Udaipur Kiran) । जनस्वास्थ्य विभाग में डीसी रेट पर 15 साल कार्यरत एक कर्मचारी को स्वंय जिंदा साबित करने के लिए सात महीने लग गए, यहां तक की कागजात में उसे मृत दिखाकर कौशल रोजगार से भी उसका नाम हटा दिया। अब मामला डीसी के संज्ञान में आया तो उन्होंने माना कि कर्मचारियांे की गलती की वजह से यह हुआ है और उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिये है कि कर्मचारी के कागजात सही कर उसे कौशल रोजगार में शामिल किया जाए और मामले की जांच के आदेश दिये है।
शहर की रामलीला पड़ाव कॉलोनी के रहने वाले विजय को अपने मृत होने की कीमत ऐसी चुकानी पड़ी कि वह कोरोना कल से लेकर अब तक सैलरी के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है और उसे अभी तक एक पैसा नहीं मिला। यहां तक कि विजय को अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए सात से आठ माह लग गए। विजय का कहना है कि वह है करीब 15 साल से पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट में डीसी रेट पर कार्यरत है। करोना काल के दौरान कर्मचारियों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जब उसे यह पता चला तो उन्होंने अधिकारियों के समक्ष अपने आप को जिंदा साबित तो कर दिया। इसी दौरान सरकार की नियमों के अनुसार वह कौशल रोजगार के अधीन होना था। कुछ अधिकारियों ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में उसे मृत दिखाकर कौशल रोजगार योजना से वंचित रखा। फिर भी वह नौकरी करता रहा, लेकिन उसे उसका वेतन नहीं दिया गया। जिसको लेकर वह हर अधिकारी के चक्कर लगाता रहा, लेकिन उसकी कोई सुनने वाला नहीं था।
विजय ने बताया कि इस दौरान उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, यहां तक कि वह मंदिरों व गुरुद्वारों से खाना लाकर अपने परिवार का पेट पालता रहा । कर्मचारियों की गलती का नतीजा वह है अब तक भुगत रहा हैं। सोमवार को परिवेदना समिति की बैठक के दौरान यह मामला डीसी के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत जांच के आदेश दिये। कर्मचारी के कागजात सही कर उसे कौशल रोजगार में शामिल करने के निर्देश दिये। डीसी के समक्ष युवक फुट फुट कर रोने लगा। युवक ने कहा कि पहले तो उसे मृत घोषित कर, उसका नाम कौशल रोजगार से हटा दिया गया। उसके बाद वह एडीसी के पास पहुंचा तो 6 ,7 महीना में जाकर उसे जीवित के प्रमाण पत्र मिला है।
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(Udaipur Kiran) / अनिल
