
धमतरी, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । धान उत्पादन के लिए प्रसिध्द धमतरी जिले में धान के साथ ही साथ अन्य फसलों की ओर भी किसानों का रूझान बढ़ रहा है। जिले के किसान अब दलहन, तिलहन फसलों के साथ रागी की भी खेती कर रहे हैं। धमतरी जिले में रागी की खेती किसानों की आय बढ़ाने का बेहतर विकल्प बनेगी। इस बार चालू खरीफ मौसम नगरी, मगरलोड विकासखण्ड के कई गांवों और धमतरी विकासखण्ड के डूबान क्षेत्र में लगभग 400 हेक्टेयर रकबे में रागी की खेती की जाएगी।
कृषि विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर लगभग 200 एकड़ रकबे में रागी का बीज उत्पादन भी किया जाएगा। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने जिले में रागी की खेती को बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश कृषि विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। कलेक्टर की पहल पर ही कृषि विभाग द्वारा रागी का बीज कलारतराई प्रक्रिया केन्द्र में भण्डारित भी किया जा चुका है। पौष्टिक और पोषक तत्वों से भरपूर रागी एक मोटा अनाज है, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देता है। इसकी खेती की लागत कम होती है और किसानों को फायदा ज्यादा होता है। केंद्र सरकार ने इस वर्ष रागी के समर्थन मूल्य में भी 596 रुपये की बढ़ोत्तरी की है। वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने रागी का
समर्थन मूल्य चार हजार 886 रुपये प्रति क्विंटल रखा है। कृषि विभाग के उपसंचालक मोनेश साहू ने बताया कि रागी की खेती के लिए जिले में किसानों का चिन्हांकन किया जा रहा है। चिन्हांकित किसानों को रागी के उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही 200 एकड़ में रागी बीज उत्पादन कार्यक्रम भी लिया जाएगा। रागी का बीज उत्पादन करने के लिए इच्छुक किसान कलारतराई और मरौद बीज प्रक्रिया केन्द्रों में संपर्क कर पंजीयन करा सकते हैं। किसान अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से भी रागी की खेती के लिए बीज आदि उपलब्ध कराने संपर्क कर सकते हैं।
50 हजार रुपये प्रति एकड़ तक हो सकती है आमदनी
कृषि उप संचालक मोनेश साहू ने बताया कि रागी के खेती के इच्छुक किसान जिला प्रशासन के कृषार्थ वाट्सएप चैनल पर भी सर्वे पत्र भरकर रागी के बीज आदि की मांग कर सकते हैं। उप संचालक ने बताया कि रागी की खेती के लिए कम पानी की जरूरत होती है। ऐसे में पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए यह फसल वरदान साबित हो सकती है। रागी की खेती में ज्यादा उर्वरकों या कीटनाशकों की जरूरत नहीं होती, जिससे किसानों की उत्पादन लागत में कमी आती है और मुनाफा ज्यादा होता है। प्रति एकड़ 8-10 क्विंटल उत्पादन से समर्थन मूल्य पर भी किसानों को लगभग 50 हजार रुपये प्रति एकड़ की आमदनी हो सकती है। रागी की खेती किसानों की आय बढ़ाने से लेकर पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
पोषक गुणों से भरपूर है रागी
डाॅ एस वानखेड़े ने बताया कि रागी पोषण से भरपूर फसल है। इसमें आयरन, कैल्शियम, फायबर और प्रोटिन भरपूर मात्रा में होते हैं। रागी का सेवन हड्डियों की मजबूती, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने और वजन को कम करने में मदद करता है। पोषक गुणों के कारण रागी का उपयोग रोटियों, दलिया या अन्य रूप में भी किया जाने लगा है। मिलेट मिशन के तहत शुरू हुए मिलेट्स कैफे भी तेजी से लोकप्रिय हुए हैं, जिससे रागी की मांग बढ़ी है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
