
जयपुर, 5 नवंबर (Udaipur Kiran) । कार्तिक पूर्णिमा बुधवार को आराध्य देव श्री गोविंद देवजी मंदिर में रास पूर्णिमा के रूप में मनाई गई। संध्या झांकी के बाद महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में विशेष रास पूर्णिमा उत्सव झांकी सजाई गई। शाम 7:15 से 7.30 बजे तक सजाई गई इस झांकी में ठाकुर श्रीजी के सामने रास का खाट सजाया गया। इसमें चौसर और शतरंज की झांकी के दर्शन कराए गए। साथ ही, दूध, पान और इत्र की विशेष सेवा अर्पित की गई। उत्सव के दौरान ठाकुर श्रीजी को खीर और मावा लड्डू का विशेष भोग अर्पण किया गया।
मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि मंगला झांकी के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ठाकुर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक किया गया। ठाकुर श्रीजी को सुनहरे पार्चे की लप्पा जामा पोशाक धारण कराकर फूलों की माला और अलंकार से श्रृंगार किया गया। सातों झांकियां करने वालों की रही भीड़:गोविंद देवजी मंदिर में मंगला से शयन झांकी करने वाले लोगों की भीड़ रही। कई लोगों ने परिवार सहित गोविंद देवजी मंदिर में डेरा डाल दिया। मंगला, धूप, श्रृंगार, राजभोग झांकी के दर्शन करने के बाद दर्शनार्थी घर गए। फिर शाम को संध्या, ग्वाल और शयन झांकी के दर्शन किए। गांवों के लोग दोपहर को भी घर नहीं गए। उन्होंने गोविंद देवजी मंदिर के पीछे जय निवास उद्यान में विश्राम किया।
कार्तिक पूर्णिमा बुधवार को रास पूर्णिमा और देव दिवाली के रूप में विभिन्न शुभ योग में भक्तिभाव से मनाई गई। कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं ने गलताजी में स्नान कर देव दर्शन किए। जो लोग गलताजी में स्नान करने नहीं जा सकें उन्होंने घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर मानसी गंगा में स्नान किया। छोटीकाशी के सभी देवालयों में कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली के रूप में मनाई गई। शाम को मंदिर के गर्भगृह और मंदिर परिसर में सैंकड़ों की संख्या में दीप जलाए गए। घर के मुख्य द्वार पर भी शाम को दिए जलाए गए। पूर्णिमा को भद्रावास योग समेत कई शुभ और दुर्लभ योग रहने से भगवान आशुतोष और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की गई। मंदिरों में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार लिया था। इसलिए मत्स्यावतार के रूप में भी पूजन किया गया। पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी और चौड़ा रास्ता के राधा दामोदर जी मंदिर में महिलाओं ने सत्यनारायण कथा सुनी। राधा दामोदरजी मंंदिर में रास पूर्णिमा की झांकी आकर्षण का केन्द्र रही। सुबह महंत मलय गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया गया। श्रद्धालुओं ने जरूरतमंदों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र का दान किया गया। गोशालाओं में गायों को चारा-गुड़ खिलाया गया।
सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ अब आराध्य देव गोविंद देवजी थोड़ी से देर से उठेंगे। अभी उनके उठने का समय सुबह चार बजे है और वे साढ़े पांच बजे तक यानी पूरे डेढ़ घंटे भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। लेकिन अब ठाकुरजी सुबह पांच बजे यानी एक घंटे देरी से उठेंगे। उनके मंगला दर्शन भी मात्र पंद्रह मिनिट होंगे। हालांकि रविवार और एकादशी तथा विशेष उत्सव के दिन वे ज्यादा देर तक दर्शन देंगे। मंदिर प्रबंधन ने 7 नवम्बर से 11 फरवरी तक का कैलेंडर जारी कर दिया है।
मंगला झांकी प्रात: 05:00 से 05:15 बजे तक, धूप झांकी प्रात: 07:45 से 09:00 बजे तक, श्रृंगार झांकी प्रात: 09:30 से 10:15 बजे तक, राजभोग झांकी प्रात: 10:45 से 11:15 बजे तक, ग्वाल झांकी शाम 05:00 से 05:15 बजे तक, संध्या झांकी शाम 05:45 से 06:45 बजे तक तथा शयन झांकी रात्रि 08:00 से 08:15 बजे तक रहेगी। गोविंद देवजी मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि प्रत्येक रविवार एवं एकादशी के दिन विशेष दर्शन व्यवस्था रहेगी। जिसमें मंगला झांकी प्रात: 04:30 से 05:15 बजे तक, धूप झांकी प्रात: 07:30 से 09:00 बजे तक, ग्वाल झांकी सायं 04:45 से 05:15 बजे तक तथा शयन झांकी रात्रि 07:45 से 08:15 बजे तक होगी। परिस्थितियों के अनुसार समय परिवर्तन संभव रहेगा।
उत्पन्ना एकादशी 15 नवम्बर, मोक्षदा एकादशी 01 दिसम्बर, सफला एकादशी 15 दिसम्बर, पुत्रदा एकादशी 31 दिसम्बर, षट्तिला एकादशी 14 जनवरी, जया एकादशी 29 जनवरी को मनाई जाएगी। देवकार्य अमावस्या 20 नवम्बर, 19 दिसम्बर एवं 18 जनवरी को तथा पूर्णिमा 04 दिसम्बर, 03 जनवरी और 01 फरवरी को रहेगी। श्रील गोस्वामीपाद प्रद्युम्न कुमार देव जीऊ का तिरोभाव दिवस 24 नवम्बर मनाया जाएगा। व्यंजन द्वादशी 02 दिसम्बर को मनाई जाएगी। ठाकुर श्री गोविन्द देवजी का वार्षिक पाटोत्सव बसंत पंचमी के दिन, 23 जनवरी 2026 को बड़े हर्षोल्लास से संपन्न होगा।
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(Udaipur Kiran)