

गोरखपुर, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के चतुर्थ स्थापना दिवस एवं युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के पांचवें दिन कृषि संकाय द्वारा एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया।
व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक, खाद्य एवं कृषि संगठन संयुक्त राष्ट्र के पूर्व समन्वयक पद्मश्री डॉ. रामचेत चौधरी ने “पूर्वांचल में काला नमक चावल के योगदान की विकास यात्रा” विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह धान न केवल पूर्वांचल की खास पहचान है, बल्कि किसानों की आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का माध्यम भी है। उन्होंने किसानों और युवाओं से आह्वान किया कि इस धरोहर फसल को आधुनिक तकनीक और विपणन के साथ जोड़कर वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने जाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि प्रदेश की वर्तमान सरकार से मिल रहे प्रोत्साहन से काला नमक धान की खेती के रकबे में निरंतर विस्तार हो रहा है और इसकी वैश्विक मांग बढ़ रही है। डॉ. चौधरी ने काला नमक चावल के औषधीय गुणों की भी विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए फैकल्टी ऑफ फार्मेसी, उद्यमिता एवं स्टार्टअप के डीन डॉ. मधुसूदन पुरोहित ने कहा कि काला नमक चावल हमारी परंपरा और वैज्ञानिकता दोनों का अद्भुत संगम है। इसके संवर्धन से क्षेत्र की कृषि और अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है। आगतों का स्वागत करते हुए कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. विमल कुमार दूबे ने बताया कि यह व्याख्यानमाला युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित की जा रही है। दोनों महापुरुषों का जीवन चरित्र व उनके द्वारा समाज के लिए दिए गए योगदान, सदैव स्मरणीय हैं। आभार ज्ञापन डॉ. आयुष कुमार पाठक ने किया। इस अवसर पर डॉ. विकास कुमार यादव, डॉ. शाश्वती प्रेमकुमारी, डॉ. नवनीत सिंह, डॉ. सच्चिदानंद सिंह, सुरेश निषाद तथा कृषि संकाय के समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
