
प्रयागराज, 28 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद में तीन दिवसीय वैश्विक पुरा छात्र सम्मेलन (ग्लोबल एलुमनाई मीट) का रविवार को झलवा परिसर में इंडस्ट्री-अकादमिक कॉन्क्लेव के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर देश-विदेश से आए पूर्व छात्र, उद्योग जगत के विशेषज्ञ, शिक्षाविद और वर्तमान छात्र एक साझा मंच पर एकत्रित हुए। यह सम्मेलन सहयोग को मजबूत करने, शोध के अवसरों को बढ़ाने के साथ सम्पन्न हुआ।
उद्योग-अकादमिक सम्मेलन में शीर्ष कॉर्पोरेट नेताओं, शोधकर्ताओं और संकाय सदस्यों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों, नवाचार, उद्यमिता और कौशल विकास पर पैनल चर्चाओं और कार्यशालाओं में भाग लिया। कॉन्क्लेव में आयोजित पैनल चर्चा और कार्यशालाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम टेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा, उद्यमिता और कौशल विकास जैसे विषयों पर विमर्श हुआ।
ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. मुकुल एस. सुतावने ने पुरा छात्रों से संस्थान में आज के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों को पोषित करने का आवाहन किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पूर्व छात्रों के सहयोग से भविष्योन्मुखी शोध संभव है, जबकि कॉर्पोरेट मार्गदर्शन पाठ्यक्रम में मूल्यवर्धन कर सकता है और समाज के लिए प्रभावशाली परिणाम उत्पन्न कर सकता है। विकसित भारत 2047 के विजन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह टाटा और बिड़ला जैसे उद्योगपतियों ने शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की, उसी तरह शैक्षणिक संस्थान भी उद्योग स्थापित कर सकते हैं।
डीएसएमएनआर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रो. संजय सिंह ने ट्रिपल आईटी इलाहाबाद को उत्कृष्टता के 25 वर्ष पूरे करने पर बधाई दी और प्रयागराज के साथ अपने जुड़ाव को याद किया। जहां से राष्ट्र सेवा की उनकी यात्रा शुरू हुई थी। उन्होंने विकास की साझा जिम्मेदारी के रूप में पूर्व छात्र संस्थान संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया और पूर्व छात्रों, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच सहयोग बढ़ावा देने के लिए सम्मेलन की सराहना की। उन्होंने समावेशिता पर जोर दिया और शिक्षा एवं उद्योग जगत द्वारा समाज के कमजोर वर्गों का संयुक्त रूप से समर्थन करने और अनुसंधान को सामाजिक प्रभाव में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. सिंह ने दोनों के बीच हुए समझौता ज्ञापन का स्वागत किया।आईएसएसए डीआरडीओ के वैज्ञानिक-एच एवं निदेशक, डॉ. एस.बी. तनेजा ने आधुनिक युद्धक्षेत्र में साइबर और ड्रोन तकनीक की बढ़ती भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने भारत की रक्षा और अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने में एआई, सेमी कंडक्टर, क्वांटम तकनीकों और उन्नत उपकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों से प्रौद्योगिकियों का सह निर्माण करने, चुनौतियों को अवसरों में बदलने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि रक्षा स्तरीय नवाचार कृषि, आपदा प्रबंधन और ग्रामीण उद्यमिता के लिए भी उपयोगी हों।
प्रो. मनीष गोस्वामी, डीन, अकादमिक एवं अनुसंधान ने आईआईआईटीए के अनूठे शैक्षणिक ढांचे पर प्रकाश डाला। जो छात्रों को गणित, उद्यमिता और अर्थशास्त्र जैसे क्षेत्रों में मामूली विशेषज्ञता के साथ बी.टेक की डिग्री के साथ स्नातक होने का अवसर प्रदान करता है, जिससे वे उद्योग की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए तैयार होते हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान ने 20 से ज़्यादा स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट किया है, पिछले एक साल में 20 से ज़्यादा शोध परियोजनाएं प्रस्तुत की हैं और 3,000 के औसत उद्धरण सूचकांक के साथ एक मज़बूत शोध प्रभाव बनाए रखा है।
आईटी विभाग प्रमुख, प्रो. मनीष कुमार ने साइबर सुरक्षा, बिग डेटा और उभरते क्षेत्रों जैसी परिवर्तनकारी तकनीकों में कमियों की ओर इशारा किया और पूर्व छात्रों व उद्योग की भागीदारी से संयुक्त अनुसंधान केंद्रों और उत्कृष्टता केंद्रों के निर्माण का प्रस्ताव रखा। उन्होंने एआई, साइबर सुरक्षा और क्वांटम तकनीकों में आईआईआईटी की पहलों पर प्रकाश डाला और पूर्व छात्रों व उद्योग से नवाचार और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने में सक्रिय भागीदारी करने का आग्रह किया।
अनुप्रयुक्त विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार ने क्वांटम सूचना एवं प्रौद्योगिकी में एक नए एम.टेक कार्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा की, जिसमें प्रयोगशालाओं और बुनियादी ढांचे के निर्माण में पूर्व छात्रों और उद्योग जगत का सहयोग मांगा गया। प्रबंधन अध्ययन विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार ने उद्योग अकादमिक सहयोग पर ज़ोर दिया। ट्रिपल आईटी के पुरा छात्र आशुतोष अग्रवाल ने पूर्व छात्र नेटवर्क को व्यापक बनाने के महत्व पर ज़ोर दिया। कहा कि उद्योग में सफलता के लिए आवश्यक कौशल व समर्पण के साथ कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।
गगन अग्रवाल (आईबीएम) ने तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी परिदृश्य में अनुकूलनशीलता और आजीवन सीखने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने क्वांटम कम्प्यूटिंग, जनरेटिव एआई और एजेंटिक एआई, परियोजना आधारित शिक्षण कार्यक्रमों, और छात्रों के लिए तकनीकी हस्तांतरण, प्रमाणन और व्यावहारिक अनुभव हेतु उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना सहित आईबीएम और ट्रिपल आईटी के बीच सहयोग के बारे में विस्तार से बताया।
प्रो. जी.सी. नंदी ने ट्रांसफॉर्मर आर्किटेक्चर सहित एआई के विकास पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की और एआई अनुसंधान को आगे बढ़ाने और स्वायत्त वाहनों जैसी तकनीकों में इसके अनुप्रयोग के लिए पूर्व छात्र-संकाय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर डॉ. सूर्य प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। उक्त जानकारी संस्थान के मीडिया प्रभारी डॉ. पंकज मिश्र ने दी।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
