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खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधान सही मायनों में नहीं हुए लागू, कुपोषण पर हाईकोर्ट ने लिया स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 1 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि बच्चों और महिलाओं सहित अन्य लोगों को पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम को उनकी वास्तविक भावना से लागू नहीं किया गया है। अधिकारी अपने कर्तव्यों का उचित तरीके से निर्वहन करने में भी असफल रहे हैं। इसी अस्वास्थ्यकर भोजन कुपोषण और मोटापे का कारण है, जो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य एवं विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। अदालत ने कहा कि जब भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य और कल्याण दांव पर लगा हो तो कोर्ट अपनी आंखें बंद कर सकता। इसके साथ ही अदालत ने मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है। अदालत ने मामले में गृह मंत्रालय, खाद्य मंत्रालय, बाल विकास मंत्रालय, एफएसएसएआई, शिक्षा मंत्रालय के साथ ही राज्य के मुख्य सचिव, एसीएस बाल विकास, एसीएस खाद्य, एसीएस शिक्षा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार के अफसरों से तीस जुलाई तक रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि मामले में उनकी ओर से क्या कार्रवाई की गई है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश प्रकरण में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए दिए।

अदालत ने अपने आदेश में महात्मा गांधी के कथन को रेखांकित करते हुए कहा कि भूखे पेट भगवान को भी याद करना कठिन है और भूख संस्कृति को नष्ट कर देती है। इसके साथ ही वैदिक ग्रंथों में भोजन को ईश्वरीय आशीर्वाद बताया गया है। अदालत ने कहा कि जंक फूड और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों और नौजवानों को पारम्परिक और मौसमी खाद्य पदार्थों के लिए प्रोत्साहित कर अच्छे स्वास्थ्य का निर्माण किया जा सकता है। बच्चों को दादी-नानी की रसोई और घर के बने खाने के लाभ के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह सही समय है जब सरकार, शिक्षा विभाग और अभिभावक बच्चों को मोबाइल के नियमित उपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने इस मुद्दे पर अपने कान बंद कर आंखें मूंद ली हैं। देश के भविष्य बच्चों के हितों की रक्षा करने के अपने कर्तव्यों को पूरा करने में वे विफल रहे हैं। सरकार और एफएसएसएआई की जिम्मेदारी है कि वे खाद्य मानकों को पूरा करने और स्कूलों व शैक्षणिक संस्थानों में जंक फूड की बिक्री रोके।

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(Udaipur Kiran)

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