Madhya Pradesh

आपातकाल को शिक्षा पाठयक्रम में पढ़ाने का प्रस्ताव विचाराधीन : सांसद रोडमल नागर

फोटोे. प्रेसवार्ता को संबोधित करते सांसद, रोडमल

नागदा, 25 जून (Udaipur Kiran) । आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ 25 जून के अवसर पर इसे काला दिवस करार देते हुए उसकी दर्दनाक कहानी को बंया करने के लिए भाजपा की ओर से उज्जैन जिले के नागदा में सर्किट हाउस पर प्रेस वार्ता का आयोजन हुआ। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिह को राजगढ लोकसभा से पराजित कर सांसद बने रोड़मल नागर ने कहा आज की युवा पीढी को इस काले कानून का संदेश देने के लिए इस प्रकार के आयोजन प्रदेश भर में किए जा रहे हैं।

हिन्‍दुस्‍थान समाचार एजेंसी के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि आपातकाल को शिक्षा पाठयक्रम में युवा पीढी को पढाने के लिए पूर्व में भी चर्चा हुई है। इस प्रस्ताव पर मंथन जारी है। लगभग 20 मिनट तक धाराप्रवाह आपातकाल पर बोलते हुए उन्होंने कहा राहुल गांधी संविधान को अपनी जेब में लेकर धूम रहे, लेकिन उनकी कांग्रेस पार्टी ने आपातकाल में संविधान की धज्जिया उडाई है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने के लिए मंत्रिमंडल में प्रस्ताव लाए बिना देश में आपातकाल लगाया ।

मीसा कानून के तहत विरोधियों को पकड़- पकड़ कर जेल में ठूस दिया गया। समाचारों पर सेंसरसीप लगा दी है। पत्रकारों को कोपभाजन का शिकार होना पड़ा। जेल में कई प्रकार की यातनाएं विरोधियों को दी गई। यहां तक की अवैधानिक तरीके से संविधान में संशोधन कर सरकार का कार्यकाल 6 वर्ष किया। आपातकाल लगाने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा राजनारायण की एक याचिका पर इंदिरागांधी का चुनाव अवैध धोषित हुआ था। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री के पद से हटने के भय से उन्होंने मीसा कानून का सहारा लिया और देश में मीसा के नाम पर तानाशाही चलाई। संविधान को रोंदा गया। इस मोके पर उन्होंने मोदी सरकार की उपलब्धियों का भी खूब बखान किया। कश्मीर में धारा 370 को हटाने तथा महिलाओं को आरक्षण समेत कई उपलब्धियों को गिनाया। इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानी श्री अग्रवाल ने आपातकाल में अपने जेल की यातनाओं को सांझा किया।

लोकतंत्र सेनानी पर सवाल इस मौक पर श्री नागर के समक्ष यह सवाल आया कि एक और लोकतंत्र सेनानियों ने उस काल में कई प्रकार की यातनाओं सहन किया, लेकिन इन दिनों की राजनीति में कितनी सेनानियों को धारा से जो़ड़कर उन्हे भाजपा में सांसद और विधायक बनाया। इस प्रकार की सवाल की संख्या पर उन्होंने अनभिज्ञता प्रकट की। लोकतंत्र सेनानियों को मिलने वाली प्रतिमाह की सम्मान निधि देने के सरकार के निर्णय को उन्होंने उचित ठहराया। उनका कहना था कि कई लोग 18-18 माह तक जेल में रहे जिसके कारण सेनानियों के परिवारों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा ऐसी स्थिति यह निर्णय उचित है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की अविवाहित बेटियों की सम्मान निधि को बंद करने के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी तकनीकी कारण से भाजपा सरकार ने इसें बंद किया होगा।

लोकतंत्र सेनानियों की संख्या एक प्रश्न के सवाल पर लोकतंत्र सेनानी श्री अग्रवाल ने बताया कि जब सेनानियों की सूची मप्र में तैयार हुई तब प्रदेश में महिला पुरूष समेत कुल लगभग 2150 लोकतंत्र सेनानी थे जिसमें से 1350 पुरूष तथा 800 महिलाएं थी। इसी प्रकार से देश में उस समय 1 लाख 10 हजार लोकतंत्र सेनानियों का आंकड़ा सामने आया था।

—————

(Udaipur Kiran) / कैलाश सनोलिया

Most Popular

To Top