Jharkhand

इंडोनेशिया में रामगढ़ कॉलेज की प्राध्यापक सम्मानित

सम्मानित होती शिक्षिका

रामगढ़, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । इंडोनेशिया में आयोजित चतुर्थ वैश्विक संस्कृत कॉन्फ्रेंस में रामगढ़ महाविद्यालय के संस्कृत की सहायक प्राध्यापक डॉ प्रीति कमल ने समग्र शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में वैदिक शिक्षा प्रणाली का पुनरावलोकन विषय पर अपना पत्र प्रस्तुत किया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित यह कार्यक्रम बाली स्थित आई गुस्ती बागुस सुग्रीव स्टेट हिंदू विश्वविद्यालय (यूएचएन) देनपसार और धर्म स्थापना फाउंडेशन और वैश्विक संस्कृत मंच (भारत) के संयुक्त तत्वावधान में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।

संस्कृत भारतीय ज्ञान परंपरा की प्राचीन भाषा है

समकालीन चुनौतियों के समाधान में वैदिक धर्म और भारतीय ज्ञान प्रणालियों की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न देशों के प्रमुख विद्वानों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ प्रीति कमल ने कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परंपरा की प्राचीन भाषा ही नहीं, बल्कि ज्ञान, दर्शन और सार्वभौमिक मूल्यों का स्रोत है, जो अपने विभिन्न शास्त्रीय ग्रंथों के माध्यम से ज्ञान से परिपूर्ण अतीत और प्रबुद्ध वर्तमान के बीच एक सेतु का काम करती है। बाली में आयोजित यह सम्मेलन इस रूप में विशिष्ट था कि वहां प्राचीन समय से संस्कृत के प्रयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। बाली के पुजारी आज भी संस्कृत में मंत्रोच्चार करते हैं और इंडोनेशियाई द्वीपसमूह में अधिकांश हिंदू और बौद्ध धार्मिक ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गए हैं। यह प्राचीन काल से भारत और इंडोनेशियाई द्वीपसमूह के बीच बौद्धिक और आध्यात्मिक निकटता को दर्शाता है। आयोजित कार्यक्रम में डॉ प्रीति कमल को बेहतर प्रस्तुति के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें मिले सम्मान से रामगढ़ कॉलेज परिवार काफ़ी उत्साहित है।

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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश

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