Uttar Pradesh

बुद्ध के अनात्म की शिक्षा में मानव अनुभव का निषेध नहीं : प्रो रामनाथ पाण्डेय

संगोष्ठी

-बुद्ध की शिक्षा में मानव को दुःख से मुक्ति और आंतरिक शांति पाने का मार्ग : प्रो आनंद शंकर सिंह

प्रयागराज, 26 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित और महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में ‘बुद्ध जयंती व्याख्यान कार्यक्रम’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी के प्रो. रामनाथ पाण्डेय ने कहा कि बुद्ध के अनात्म की शिक्षा में मानव अनुभव का निषेध नहीं है, बल्कि उसका एक गहन पुनः परिभाषण है। चिरस्थायी अहंकार के भ्रम को तोड़कर बौद्ध धर्म दार्शनिक अहंवाद की आलोचना करता है और मानवीय उत्तरदायित्व को नए रूप में प्रस्तुत करता है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष दर्शनशास्त्र प्रो. गोपाल साहू ने कहा कि बुद्ध का मध्यम मार्ग, अनित्यता, अनात्म, और प्रतीत्य समुत्पाद की प्रक्रियागत सत्ता मीमांसा में निहित, दुःख से पार पाने और निर्वाण प्राप्त करने का एक मुक्तिदायी तरीका प्रस्तुत करता है। यह उपचारात्मक, अनंतिम और व्यावहारिक है, चार आर्य सत्यों पर आधारित है और दुःख से मुक्ति की ओर उन्मुख है। इसके विपरीत, अरस्तू का स्वर्णिम मध्य, पदार्थ सत्तामीमांसा और उद्देश्यवादी यथार्थवाद से निकलता है। जो सद्गुण को अधिकता और न्यूनता के बीच एक तर्कसंगत मध्य मानता है, जिसका उद्देश्य यूडेमोनिया है-प्राकृतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के माध्यम से मानव उत्कर्ष।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्य भाषा विभाग के आचार्य अनिल प्रताप गिरी ने कहा कि चार आर्य सत्य बौद्ध दर्शन का आधारभूत ढांचा हैं, जो मानवीय पीड़ा के प्रति एक तर्कसंगत, अनुभवात्मक और नैतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने इन आर्यसत्यों की समकालीन नैतिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक संदर्भों में सार्वभौमिक प्रयोज्यता आरेखित की।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने कहा कि आज के समय में बुद्ध की आवश्यकता और भी अधिक है। समाज में बढ़ती हिंसा, असहिष्णुता और लालच को शांत करने के लिए करुणा, अहिंसा और मध्यमार्ग का पालन जरूरी है। बुद्ध का संदेश हमें आत्मचिंतन, सहिष्णुता और सादगी की ओर ले जाता है। उनकी शिक्षाएं मानव को दुःख से मुक्ति और आंतरिक शांति पाने का मार्ग दिखाती हैं। आज की जटिल दुनिया में बुद्ध के विचार मानवता के लिए दिशा और समाधान प्रदान करते हैं।

संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. अमिता पांडेय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि बुद्ध का महत्व उनके उपदेशों और करुणा में निहित है। उन्होंने मानव जीवन के दुःख, उसके कारण और उससे मुक्ति का मार्ग बताया। अहिंसा, करुणा, समता और मध्यम मार्ग उनकी शिक्षा के आधार स्तंभ हैं। बुद्ध ने अंधविश्वास की बजाय तर्क, ध्यान और आत्मज्ञान पर बल दिया। उनके विचार आज भी विश्व भर में शांति, सह-अस्तित्व और आंतरिक संतुलन की प्रेरणा देते हैं।

महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. मनोज कुमार दूबे ने बताया कि उद्घाटन सत्र में डॉ. इन्दिरा श्रीवास्तव, डॉ. कृपा किंजल्कम, डॉ. शिखा श्रीवास्तव, डॉ. महेन्द्र यादव सहित विश्वविद्यालय, संघटक महाविद्यालयों के शिक्षकों, विद्वतजन, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने व्यापक सहभागिता की। संचालन शोध छात्रा आशी मिश्रा ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अमिता पांडेय ने किया।

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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