Uttrakhand

हिंदी को पहले व्यवहार मे लाना जरूरी : प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी

हल्द्वानी, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी के लिए तमाम कोशिशें करना तभी कारगर व उचित होगा जब हम पहले अपने व्यवहार में हिंदी को बरतेंगे।

ये कहना है उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी का। रविवार को हिंदी दिवस के दिन आयोजित संवाद कार्यक्रम में उन्होंने हिंदी-राजभाषा, शिक्षण, रोजगार, भविष्य व चुनौतियां विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में उन्होंने अपनी बात रखी। कार्यक्रम में विवि के सभी निदेशक, शिक्षक व शिक्षणेत्तर कार्मिक जुड़े रहे साथ ही राज्य भर से भी साहित्य व हिंदी के सुधिजन जुड़े रहे।

व्याख्यान में प्रो. लोहनी ने कहा कि 76 सालों में हिंदी को हम राजभाषा नहीं बना पाए हैं हमारे न्यायालयों से लकर मंत्रालयो व दफ्तरों के प्रपत्रों में अंग्रेजी हावी है। उन्होने अपने राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान के अनुभव साझा करते हुए कहा कि हमने उस वक्त होर्डिग्स से लेकर प्रचारी सामग्री हिंदी में छापे जाने की बात मजबूती से रखी और उस पर अमल हुआ। राष्ट्रमंडल खेलो के जरिये हिंदी का संदेश पूरी दुनिया में गया। तो इस तरह के अभियान हमें पहल करके लेने होंगे तभी हम हिंदी को सबसे पहले तो राजभाषा बना पाएंगे फिर संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय से प्रो. गिरिजा प्रसाद पांडे, प्रोफेसर रेनू प्रकाश, प्रो. जितेन्द्र पांडे, प्रो. राकेश चन्द्र रयाल, डा. शशांक शुक्ला, डा.सुशील उपाध्याय व डा. नरेन्द्र सिजवाली समेत कई प्राध्यापक व कर्मचारी मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / अनुपम गुप्ता

Most Popular

To Top