Uttar Pradesh

हरिशयनी एकादशी : वैदिक विरासत को जीवन में उतारने का संकल्प लें: प्रो. बिहारी लाल शर्मा

प्रो. बिहारी लाल शर्मा

वाराणसी, 05 जुलाई (Udaipur Kiran) । आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे हरिशयनी एकादशी, देवशयन एकादशी या पद्मा एकादशी के नाम से जाना जाता है, भारतीय वैदिक परंपरा में एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह वह तिथि मानी जाती है जब भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास का शुभारंभ होता है—जो आत्मसंयम, साधना, जप-तप, उपासना और स्वाध्याय का विशेष काल माना जाता है।

इस वर्ष चातुर्मास्य व्रत 06 जुलाई से आरंभ होकर 01 नवंबर (हरि प्रबोधिनी एकादशी) तक चलेगा। इस दौरान सभी मांगलिक कार्यों, विवाह आदि पर विराम लग जाता है, और श्रद्धालु आध्यात्मिक अनुशासन का पालन करते हैं।

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने हरिशयनी एकादशी के अवसर पर कहा कि यह पर्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक मर्यादा, संयमित जीवनशैली और आत्मिक अनुशासन का भी प्रेरक है। उन्होंने कहा, “वैदिक विरासत को केवल पूजा-पाठ तक सीमित न रखें, अपितु उसे अपने आचरण, व्यवहार और जीवनशैली में उतारें। यही सच्चा धर्म है, यही वास्तविक उपासना है।”

उन्होंने कहा कि जब आज का समाज भौतिकता की चकाचौंध में आत्मिक शांति को खोता जा रहा है, ऐसे समय में हरिशयनी एकादशी जैसे पर्व हमें पुनः तप, त्याग, संयम और ईश्वरानुरक्ति की ओर प्रेरित करते हैं। विशेष रूप से युवा पीढ़ी और विद्यार्थियों के लिए यह समय मनोनिग्रह, अध्ययन और आत्मपरिष्कार के लिए अत्यंत उपयुक्त है। प्रो. शर्मा ने चातुर्मास की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह चार महीने का आत्मिक अनुशासन न केवल व्यक्ति को शुद्ध करता है, बल्कि समाज में सद्भाव, संतुलन और आत्मीयता की भावना का भी विस्तार करता है। उन्होंने कहा कि चातुर्मास हमें सिखाता है कि क्षणिक भोगों की अपेक्षा चिरस्थायी मूल्यों को जीवन में प्रतिष्ठित करना ही जीवन की स्थायित्व का आधार है।

बताते चले हरिशयनी एकादशी व्रत के लिए एकादशी तिथि पांच जुलाई शनिवार को सायं 6:28 बजे से आरंभ होकर छह जुलाई रविवार रात्रि 8:29 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, व्रत रविवार 06 जुलाई को रखा जाएगा। व्रत का पारण सोमवार 07 जुलाई को किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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