Uttar Pradesh

कला की अभिव्यक्ति के लिए भाषा सारथी का काम करती है : प्रो अजय जैतली

सम्बोधित करते वक्ता

–कला मनुष्य में संवेदना पैदा करती है और भाषा समझ : प्रो विजय राय

प्रयागराज, 11 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजभाषा अनुभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय, द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़ा उदघाटन समारोह में कला और हिन्दी विषय पर बतौर मुख्य व्यक्ता प्रो अजय जैतली ने कहा कि यह शहर कला और साहित्य का अद्भुत संगम है। कला की अभिव्यक्ति के लिए भाषा सारथी का काम करती है।

गुरुवार को इविवि में आयोजित कार्यक्रम में दृश्य कला विभाग एवं केंद्रीय सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष प्रो जैतली ने कहा कि हमने रेखाओं को रंगों के सहारे समझा है पर उस समझ के पीछे हिन्दी भाषा की बड़ी भूमिका है। भाषा और बोली कला की आत्मा हैं। कलाओं को भाषा से अनुपस्थित कर दिया जाए तो अभिव्यक्ति सशक्त नहीं होगी। जिस तरह समाज को समझने में भाषा हमारा साथ देती है उसी तरह कलाओं को समझने में भी शब्द हमारा साथ देते हैं। भाषा भक्ति आंदोलन का माध्यम बनी तो उसमें भाव और संगीत भी हैं। लोकगीत और नाटकों के संवादों में भाषा का उच्चतम स्तर हैं। भाषा ने मनुष्य को कलाओं के नजदीक पहुंचाया है और हिन्दी इसमें सर्वोपरि है। शहर के साहित्यकारों में महादेवी वर्मा और जगदीश गुप्त का जितना अधिकार कविता पर था उतना ही चित्रकला पर था।

मुख्य अतिथि कला संकाय के अध्यक्ष और राजनीति विज्ञान के प्रो विजय कुमार राय ने कहा मानव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, कैसे अपने आपको अभिव्यक्त करें और अभिव्यक्ति का माध्यम भाषा और कला है। कला और साहित्य मनुष्य में संवेदना और सौंदर्य पैदा करती है। इस कार्य में हिन्दी और दृश्यकला का स्थान अग्रणी है। प्रो राय ने कहा हिन्दी सहज और स्वीकार्य भाषा है। कृत्रिम मेधा के दौर में हिन्दी भी परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजर रही है।

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुलसचिव एवं राजभाषा कार्यव्न्य समिति के अध्यक्ष प्रो आशीष खरे ने कहा कि हमारे सोचने की प्रक्रिया का आदि हिस्सा मातृभाषा में निहित होती है। कला भाषाओं के बंधन से मुक्त होती है। चित्र की भाषा का स्वतंत्र अस्तित्व होता है। हिन्दी भाषा ने कला को समृद्ध करने महती भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता के 75 वर्षों में हिन्दी ने अपने को समृद्ध एवं विस्तृत किया है। दूसरी भाषा की महत्वपूर्ण पुस्तकों का अनुवाद हिन्दी भाषा में करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा आज के समय में चित्रों की भाषा को शब्दों में बदलना बहुत श्रमसाध्य काम है।

कार्यक्रम आभार ज्ञापन हिन्दी अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव ने एवं संचालन हिन्दी अनुवादक हरिओम कुमार ने किया। कार्यक्रम में प्रो. संतोष भदौरिया, डॉ अमृता, डॉ दीनानाथ, प्रो संजय श्रीवास्तव, डॉ अनिर्वाण कुमार, प्रो राहुल पटेल, प्रो संदीप आनंद, डॉ उमेश कुमार, डॉ सैनी, डॉ सुभाष शुक्ला,आनंद कुमार, संकट मोचन प्रदीप पार्थिव, आर्यन, सुमित, श्रवण समेत विभिन्न विभागों के अध्यापकगण, कर्मचारी, छात्र और शोधार्थी मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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