जम्मू, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) ।
प्रमुख सचिव, संस्कृति, बृज मोहन शर्मा ने आज यहाँ के.एल. सहगल हॉल में जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी (जेकेएएसीएल) द्वारा आयोजित उद्घाटन समारोह के दौरान हिंदी पखवाड़ा समारोह कार्यक्रमों का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में लेखकों, विद्वानों, शिक्षाविदों और हिंदी भाषा एवं साहित्य के प्रशंसकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
अपने संबोधन में बृज मोहन शर्मा ने अपनी पत्रिकाओं, पुस्तकों और अन्य प्रकाशनों के माध्यम से हिंदी भाषा और साहित्य के दस्तावेजीकरण और प्रचार में जेकेएएसीएल की भूमिका की सराहना की।
उन्होंने याद दिलाया कि 2020 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने उर्दू, कश्मीरी, डोगरी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को भी आधिकारिक भाषाओं में से एक घोषित किया था।
एकता और पहचान के प्रतीक के रूप में हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रमुख सचिव ने घोषणा की कि युवा पीढ़ी को हिंदी, उर्दू और अन्य भाषाओं में लिखने का प्रशिक्षण देने के लिए जल्द ही एक सुलेख केंद्र स्थापित किया जाएगा जिससे जम्मू-कश्मीर के दृश्य कला परिदृश्य को समृद्ध किया जा सके।
उन्होंने हिंदी साहित्य के विकास में योगदान देने के लिए युवा लेखकों और विद्वानों के लिए मंच तैयार करने में जेकेएएसीएल जैसी संस्थाओं की जिम्मेदारी पर बल दिया।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में, जेकेएएसीएल की सचिव, हरविंदर कौर ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं और इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला यह याद करते हुए कि 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिंदी को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए अकादमी के निरंतर प्रयासों को भी रेखांकित किया।
शैक्षणिक सत्र के एक भाग के रूप में, प्रो. चंचल डोगरा ने समकालीन विश्व में हिंदी की स्थिति, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और प्रशासन में इसकी प्रासंगिकता और सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर एक शोधपत्र प्रस्तुत किया।
डॉ. निर्मल विनोद ने अपने शोध-पत्र में हिंदी की साहित्यिक परंपराओं पर प्रकाश डाला और आधुनिक रचनात्मक अभिव्यक्तियों को अपनाते हुए इसकी शास्त्रीय विरासत को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
