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अफ्रीका में प्रधानमंत्री मोदी का अनोखे अंदाज में हुआ स्वागत

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा
क्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के उन सदस्यों
‘साष्टांग प्रणाम’ कर हार्दिक स्वागत कि

जोहान्सबर्ग, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जोहान्सबर्ग में विशिष्ट और पारंपरिक शैली में स्वागत किया गया। यह किसी भी अन्य राष्ट्र प्रमुख से भिन्न और अनोखा था।

जोहान्सबर्ग हवाईअड्डे पर पारंपरिक वेशभूषा में उपस्थित दक्षिण अफ्रीकी कलाकारों ने प्रधानमंत्री मोदी का विमान से उतरने पर ‘साष्टांग प्रणाम’ कर हार्दिक स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने भी हाथ जोड़कर इस आत्मीय सम्मान को स्वीकार किया। उनके स्वागत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य तथा मेजबान देश के अधिकारी भी मौजूद रहे। ‘साष्टांग प्रणाम’ की यह मुद्रा पूर्णत: भूमि पर लेटकर किए जाने वाले भारतीय संस्कृति के उच्चतम सम्मान को दर्शाती है।

जोहान्सबर्ग एक्सपो सेंटर पहुँचने के बाद, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के उन सदस्यों से बातचीत की जो विभिन्न सामुदायिक संगठनों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए।

प्रधानमंत्री मोदी G20 शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस सम्मेलन में वह वैश्विक अर्थव्यवस्था, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगे। भारत की ओर से इस मंच का उपयोग वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को उठाने और बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली में, जी20 शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान भारत ने सबका साथ की भावना से ही दक्षिण अफ्रीका को इस सम्मेलन का स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा था। उस दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-अफ्रीका की मजबूत एकता के संदर्भ में कहा था कि नई दिल्ली समिट के दौरान अफ्रीकन यूनियन का, इस ग्रुप का स्थाई सदस्य बनना एक बहुत बड़ा कदम था। अब सभी वैश्विक संस्थाओं में ग्लोबल साउथ की आवाज और बुलंद हो, इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए।

नई दिल्ली में इस सम्मेलन की अध्यक्षता के दौरान, मोदी ने युवाओं के लिए भी एक संदेश दिया था कि आने वाले समय में दुनिया की ग्रोथ को बनाए रखने के लिए एक बड़ा स्किल्ड ‘यंग टैलेंट पुल’ बहुत ज़रूरी है। इसलिए हमें ग्लोबल स्किल मैपिंग” की तरफ बढ़ना चाहिए। ये ग्लोबल साउथ की भी प्राथमिकता है।

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(Udaipur Kiran) / श्रद्धा द्विवेदी