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फ्रांस में मैक्रों पर राजनीतिक गतिरोध खत्म करने का दबाव बढ़ा

मैक्रा

पेरिस, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) ।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के इस्तीफा देने के बाद से उत्पन्न राजनीतिक संकट को समाप्त करने के लिए दबाव बढ़ गया है।

निर्वतमान प्रधानमंत्री लेकोर्नू ने इस संकट के समाधान के लिए विभिन्न दलों के सदस्यों के साथ मंगलवार से दाे दिनाें की बातचीत शुरू कर दी है। यह फ्रांस का अबतक का सबसे गहरा राजनीतिक संकट माना जा रहा है।

साेमवार काे लेकोर्नू और उनके सहयाेगियाें का इस्तीफा उस समय आया जब सहयाेगी दलाें के साथ विरोधी दलाें ने भी उन्हें अस्वीकार कर दिया था। यह आधुनिक फ्रांसीसी इतिहास की सबसे छोटी अवधि वाली सरकार साबित हुई। लेकोर्नू सिर्फ 27 दिन ही पद पर रहे, जो विगत दो साल में देश के पांचवें प्रधानमंत्री थे।

इस बीच मैक्रों ने सोमवार को लेकोर्नू को बातचीत का जिम्मा सौंपा जिसमें उनके लिए समाधान निकालने को लेकर बुधवार तक की समय सीमा तय की गई है। हालांकि इस बाबत लेकोर्नू की भूमिका अभी तक साफ नहीं हैै।

यह संकट पिछले साल जून में यूरोपीय संसद के चुनावों में दक्षिणपंथी उभार के बाद मैक्रों द्वारा किए गए स्नैप चुनावों से उपजा, जिसके परिणामस्वरूप संसद में कोई स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।

उधर अब मैक्रों के विकल्प सीमित हो गए हैं। वह नया प्रधानमंत्री नामित कर सकते हैं। हालांकि समाजवादी दलों ने वाम पक्ष के नेता को नियुक्त करने की मांग की है, लेकिन मैक्रों ने उनके पेंशन सुधार और कर बदलावों के फैसलाें काे पलट दिए जाने के डर से ऐसा करने से इनकार किया है।

इस बीच विपक्षी दलों ने संसद भंग करने या मैक्रों से इस्तीफा देने की मांग की लेकिन मैक्रों ने दोनों को खारिज कर दिया। उनका कार्यकाल 2027 में समाप्त होगा। राजनीतिक हलकों में मैक्रों के कदमों के बारे में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। मध्यमार्गी सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री गेब्रियल अट्टाल ने कहा, “फ्रांसीसी लोगों की तरह, मैं राष्ट्रपति के फैसलों को अब समझ नहीं पा रहा।”

मेदेफ व्यवसाय लॉबी के प्रमुख पैट्रिक मार्टिन के अनुसार, “हम इस राजनीतिक तमाशे को देख रहे हैं जो हमें दुखी करता है। हम सभी राजनीतिक खिलाड़ियों से जिम्मेदारी से व्यवहार करने की अपील करते हैं।” उन्होंने कहा कि यह संकट व्यवसाय जगत में पहले से मौजूद चिंताओं को बढ़ा रहा है।

बातचीत के लिए लेकोर्नू लेस रिपब्लिकेंस और दक्षिणपंथी रेनेसांस दलों के सदस्यों से मिलने वाले हैं जिसमें सीनेट प्रमुख जेरार्ड लार्शर और नेशनल असेंबली प्रमुख याएल ब्राउन-पिवेट शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रयास केवल समय निकालने का तरीका हो सकता है जो पूर्व प्रधानमंत्री के नामांकन के लगभग एक महीने बाद आया है।

फ्रांस की अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर भी इस राजनीतिक संकट का गहरा असर पड़ रहा है । मैक्रों पर इसका जल्दी ही समाधान निकालने के लिए दबाव बढ़ गया है।

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(Udaipur Kiran) / नवनी करवाल

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