Uttar Pradesh

राष्ट्रपति मंगलवार काे करेंगी यूपी के गोरखपुर में पहले आयुष विवि का लोकार्पण

-आयुष विवि से चिकित्सा-शिक्षा के साथ खुलेंगे रोजगार के नए द्वार

गोरखपुर, 30 जून (Udaipur Kiran) । भटहट के पिपरी में बना यूपी का पहला महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय आयुर्वेद समेत प्राचीन व परंपरागत आयुष विधाओं की चिकित्सा और इनसे जुड़ी शिक्षा का केंद्र ही नहीं बनेगा बल्कि इसके जरिये रोजगार के नए द्वार भी खुलने जा रहे हैं। गोरखपुर में मेडिकल टूरिज्म, औषधीय पौधों की आयसर्जक खेती की संभावना को धरातल पर उतारने में यह विश्वविद्यालय बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण मंगलवार (एक जुलाई) को पूर्वाह्न देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु करेंगी।

आयुष पद्धति से चिकित्सा, शिक्षा और मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। अब इसका लोकार्पण राष्ट्रपति द्राैपदी मुर्मु एक जुलाई 2025 काे करेंगी। यह आयुष विश्वविद्यालय भटहट क्षेत्र के पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्रफल में बना है। इसकी स्वीकृत लागत 267.50 करोड़ रुपये है।

उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय का लोकार्पण भले ही मंगलवार को होने जा रहा है लेकिन यहां आयुष ओपीडी का शुभारंभ 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जा चुका है। हाल के दिनों में सायंकाल के सत्र में भी ओपीडी चलने लगी है। प्रतिदिन यहां आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी की ओपीडी में औसतन 300 मरीज परामर्श लेते हैं। ओपीडी शुभारंभ के बाद अब तक करीब सवा लाख से अधिक लोग आयुष चिकित्सकों से परामर्श लाभ ले चुके हैं। लोकार्पण के बाद अस्पताल (आईपीडी, ओटी) शुरू होने से आयुष पद्धति से उपचार की बेहतरीन सुविधा भी उपलब्ध होने लगेगी। आयुष विश्वविद्यालय में 28 कॉटेज वाला बेहतरीन पंचकर्म भी बनकर तैयार है और जल्द ही लोगों को पंचकर्म चिकित्सा की भी सुविधा मिलने लगेगी।

महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से पहले आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्धा की चिकित्सा पद्धति, जिन्हें समन्वित रूप में आयुष कहा जाता है, के नियमन के लिए अलग-अलग संस्थाएं कार्यरत रहीं। पर, राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश के सभी राजकीय और निजी आयुष कॉलेजों (वर्तमान में 98) का नियमन अब इसी विश्वविद्यालय से ही होता है।

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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

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